पौष में दान-पुण्य से बढ़ती सुख-समृद्धि || Vaibhav Vyas


पौष में दान-पुण्य से बढ़ती सुख-समृद्धि 

पौष में दान-पुण्य से बढ़ती सुख-समृद्धि सनातन धर्म के अनुसार हर मास का अपना महत्व है। इन्हीं में से एक पौष मास है। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि पौष मास को एक अशुभ मास माना जाता है। जिस कारण इस मास में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित होता है। कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस मास को धनु मलमास के नाम से भी जाना जाता है। तो वहीं इसे खरमास भी कहा जाता है। ज्योतिष मान्यताओं की मानें तो इस मास में सूर्य की 11 हज़ार किरणें इंसान को ऊर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। जो जातक पौष में सूर्य देव की नियमित उपासना करते हैं, उनके जीवन में स्वस्थता की तथा संपन्नता की कभी कोई कमी नहीं रहती। क्योंकि इस मास को अशुभ माना जाता है इसलिए इस लिए दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है। शास्त्रों में वर्णित तथ्यों के अनुसार खरमास में इन बातों का ख्याल रखना अधिक आवश्यक बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मास में जातक को अरहर की दाल और चावल से बनी खिचड़ी में शुद्ध देसी घी मिलाकर उसका दान करना चाहिए। कहा जाता है इस उपाय को करने से जातक को लाभ प्राप्त होता है।  हर व्यक्ति को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए, कि इस दौरान किसी भी नए काम की शुरूआत न करें। परंतु यदि किन्हीं हालातों में ऐसा करना भी पड़ जाए तो जातक आगे बताए गए कुछ उपायों के साथ इन्हें कर सकता है। पौष मास के दौरान जातक को प्रत्येक सोमवार को शिव जी की पूजा करनी चाहिए और इन पर बेलपत्र भी अर्पित करनी चाहिए। इसके अलावा हो सके तो इस दौरान बेलपत्र की जड़ या लकड़ी को लाल धागे में गले में धारण करना चाहिए। अपनी क्षमता अनुसार इस मास में जातक को तांबे का दान अवश्य करना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को इस मास में नौकरी, व्यापार आदि से जुड़ी कोई दिक्कत आए तो उपाय के तौर पर इस माह में शिव जी को गुड़ और जल चढ़ाना चाहिए। तथा लाल अनार दान भी करना चाहिए।  ज्ञान वृद्धि के लिए सूर्यदेव को गुड़हल के फूल चढ़ाने चाहिए, इसके अतिरिक्त मान-सम्मान के लिए रोज़ाना सूर्य देव को कर्पूर ओर केसर सूर्य अर्पित करें। कारोबार या ऑफिस में तरक्की के लिए पानी में लाल चंदन मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करें।

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