षटतिला एकादशी || Vaibhav Vyas


 
षटतिला एकादशी

षटतिला एकादशी पर तिल का विशेष महत्व माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। षटतिला एकादशी पर तिल का 6 तरह से उपयोग करने का विधान है, इसलिए इसे षटतिला कहा गया है। इस दिन तिल से भगवान विष्णु का पूजन करने पर नरक की प्राप्ति नहीं होती है। स्वर्ण दान के बराबर पुण्य फल मिलता है। षटतिला एकादशी का व्रत 6 फरवरी 2024, मंगलवार को रखा जाएगा। इस उपवास को करने से जहां हमें शारीरिक पवित्रता और निरोगता प्राप्त होती है, वहीं अन्न, तिल आदि दान करने से धन-धान्य में बढ़ोत्तरी होती है। पंचांग के अनुसार माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी 5 फरवरी 2024 को शाम 05 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और 06 फरवरी 2024 को शाम 04 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 6 फरवरी को एकादशी का व्रत रखा जाएगा। षटतिला एकादशी का व्रत पारणा 7 फरवरी 2024 को सुबह 07.06 मिनट से सुबह 09.18 मिनट तक किया जाएगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - दोपहर 02.02 बजे तक का है। षटतिला एकादशी महत्व- षटतिला एकादशी के दिन तिल से स्नान, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन, तिल से तर्पण, तिल का भोजन और तिलों का दान करने पर स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जीवन में प्रगति के लिए इस दिन स्नान के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल और कुछ तिल के दाने मिलाकर स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें। इससे उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है। वैवाहिक जीवन सुखमय और खुशहाल बनता है और इस व्रत की कथा सुनने एवं पढऩे से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन व्रत रखने वालों को इससे संबंधित कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए जिससे व्रत की पूर्णता मानी जाती है। इस व्रत को रखने से मनुष्यों को अपने बुरे पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख समृद्धि आती है।

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