माघ मास में केवल तीर्थ स्नान मात्र से होता पापों का शमन || Vaibhav Vyas


 माघ मास में केवल तीर्थ स्नान मात्र से होता पापों का शमन  

माघ मास में केवल तीर्थ स्नान मात्र से होता पापों का शमन भारतीय संवत्सर में 12 महीने होते हैं, ग्यारहवां महीना माघ का महीना होता है। इस महीने मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण सनातन धर्म में इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ का महीना भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। पद्मपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार श्रीहरि भगवान विष्णु व्रत, दान एवं तपस्या से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना माघ माह में किसी पवित्र नदी में स्नान करने से होते हैं। इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान करने व दान पुण्य करने से पापों का शमन होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस माह संगम के तट पर कुशोदक का पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसका विधिवत पूजन व रुद्राभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक रहता है। तथा विधिव भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से धन प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। ऐसे में इस महीने कुछ उपाय विधिवत कर लिए जाएं तो जीवन में सफलता की नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हैं और धन्य धान से समृद्ध हो सकते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माघ के महीने में किसी पवित्र नदी में स्नान कर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती व सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि इस महीने प्रत्येक सोमवार को शहद से अभिषेक करने से जमीन या मकान की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति के लिए भी इस माह का विशेष महत्व है। ऐसे में संतान प्राप्ति व संतान के जीवन में प्रसन्नता, संपन्नता के लिए संतानगोपाल की विधिवत पूजा अर्चना करें। नारदपुराण के अनुसार माघ मास में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने व सूर्य देव को अघ्र्य देने से महापातक दूर हो जाते हैं और प्राजापत्य यज्ञ का फल प्राप्त होता है। ऐसे में रोजाना ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर सूर्य देव की विधिवत पूजा करें। इस महीने से मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है। सूर्य के प्रकाश में तप बढऩे लगता है, ऐसे में इस दौरान अपने खानपान व दिनचर्या में परिवर्तन करें। इस दौरान हल्का व सुपाच्य भोजन करना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है तथा माघ माह में प्रतिदिन एक बार भोजन करने से आरोग्य और एकाग्रता की प्राप्ति होती है। माघ माह में दुर्गासप्तशती का प्रतिदिन पाठ करने तथा सतचंडी यज्ञ करने से माता की कृपा सदैव भक्तों पर बनी रही है। ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि माघ माह में गौ माता को प्रतिदिन भोजन कराने व पालक खिलाने से कष्टों का निवारण होता है तथा जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाएं दूर होती हैं। माघ महीने में जरूरतमंद यानी पात्र व्यक्ति को दान आदि करने व ब्राह्मणों को भोजन कराने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और समस्त कष्टों का निवारण होता है। ऐसे में इस महीने जरूरतमंद व्यक्ति को दान दें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

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