भगवान सूर्य देव कि पूजा से आरोग्यता की प्राप्ति || Vaibhav Vyas


भगवान सूर्य देव कि पूजा से आरोग्यता की प्राप्ति 

भगवान सूर्य देव कि पूजा से आरोग्यता की प्राप्ति सूर्यदेव की अराधना से सिर्फ सुख-समृद्धि ही नहीं, बल्कि आरोग्य भी प्राप्त होता है। सूर्य देव यानि कलयुग के एकमात्र दृश्य देव, जिन्हें ग्रहों का राजा भी माना गया है। वहीं आदि पंच देवों में भी इनका स्थान है। हिंंदू धर्म में सूर्य देव का विशेष महत्व माना जाता है। सूर्य देव की पूजा करने से लोगों के जीवन में शांति बनी रहती है और कुछ लोग तो सुबह-सुबह उठकर रोजाना सूर्य नमस्कार भी करते हैं इसके साथ-साथ सूर्य को जल भी देतें हैं। भगवान सूर्य की उपासना का उल्लेख वैदिक काल से मिलता है। सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र बताया गया है। सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य और शक्ति के देवता के रूप में मान्यता हैं। मान्यता के अनुसार सूर्यदेव की साधना से न सिर्फ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि आरोग्य भी प्राप्त होता है। सूर्य को किए जाने वाले नमस्कार को सर्वांग व्यायाम कहा जाता है। श्री सूर्य मंत्र- आ कृष्णेन् रजसा वर्तमानो निवेशयत्र अमतं मत्र्य च। हिरणययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन।। सूर्यदेव की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन बरकरार है। ऋषि-मुनियों ने उदय होते हुए सूर्य को ज्ञान रूपी ईश्वर बताते हुए सूर्य की साधना-आराधना को अत्यंत कल्याणकारी बताया है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य की उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। जिनकी साधना स्वयं प्रभु श्री राम ने भी की थी। विदित हो कि प्रभु श्रीराम के पूर्वज भी सूर्यवंशी थे। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग दूर कर पाए थे। सूर्य अघ्र्य मंत्र- ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर:॥ ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अघ्र्य समर्पयामि॥ मान्यता है कि भगवान दिवाकर यानी सूर्यदेव की साधना-आराधना का अक्षय फल मिलता है। सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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