सूर्योदय के समय सूर्य देव की उपासना लाभकारी || Vaibhav Vyas


 
सूर्योदय के समय सूर्य देव की उपासना लाभकारी

सूर्योदय के समय सूर्य देव की उपासना लाभकारी किसी ने भी भगवान को नहीं देखा है, लेकिन सूर्य और चंद्रमा को हर व्यक्ति ने देखा है। ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा दोनों ही ग्रह माने गए हैं, जबकि विज्ञान कहता है कि चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों में सूर्य को राजा और चंद्रमा को रानी व मन का कारक माना गया गया है। विज्ञान भी मानता है कि सूर्य के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य से ही धरती पर जीवन संभव है और इसीलिए वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की उपासना का चलन रहा है। वेदों की ऋचाओं में अनेक स्थानों पर सूर्य देव की स्तुति की गई है। सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से ऊँ प्रकट हुआ था, वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप था। इसके बाद भू: भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में ऊँ में विलीन हुए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने से इसका नाम आदित्य पड़ा। सूर्य देव के जन्म की यह कथा भी काफी प्रचलित है। इसके अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र मरिचि और मरिचि के पुत्र महर्षि कश्यप थे। इनका विवाह हुआ प्रजापति दक्ष की कन्या दीति और अदिति से हुआ। दीति से दैत्य पैदा हुए और अदिति ने देवताओं को जन्म दिया, जो हमेशा आपस में लड़ते रहते थे। इसे देखकर देवमाता अदिति बहुत दुखी हुई। वह सूर्य देव की उपासना करने लगीं। उनकी तपस्या से सूर्यदेव प्रसन्न हुए और पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। कुछ समय पश्चात उन्हें गर्भधारण हुआ। गर्भ धारण करने के पश्चात भी अदिति कठोर उपवास रखती, जिस कारण उनका स्वास्थ्य काफी दुर्बल रहने लगा। महर्षि कश्यप इससे बहुत चिंतित हुए और उन्हें समझाने का प्रयास किया कि संतान के लिए उनका ऐसा करना ठीक नहीं है। मगर, अदिति ने उन्हें समझाया कि हमारी संतान को कुछ नहीं होगा ये स्वयं सूर्य स्वरूप हैं। समय आने पर उनके गर्भ से तेजस्वी बालक ने जन्म लिया, जो देवताओं के नायक बने और बाद में असुरों का संहार किया। अदिति के गर्भ से जन्म लेने के कारण इन्हें आदित्य कहा गया। वहीं कुछ कथाओं में यह भी आता है कि अदिति ने सूर्यदेव के वरदान से हिरण्यमय अंड को जन्म दिया, जो कि तेज के कारण मार्तंड कहलाया। सूर्य देव की विस्तृत कथा भविष्य, मत्स्य, पद्म, ब्रह्म, मार्केंडेय, साम्ब आदि पुराणों में मिलती है। प्रात:काल सूर्योदय के समय सूर्यदेव की उपासना करने से सूर्यदेव प्रसन्न रहते हैं और जातक पर कृपा करते हैं।

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