मार्गशीर्ष मास में शंख पूजा का विशेष महत्व || Vaibhav Vyas


मार्गशीर्ष मास में शंख पूजा का विशेष महत्व 

मार्गशीर्ष मास में शंख पूजा का विशेष महत्व हिंदू धर्म में अगहन मास का काफी महत्व होता है। अगहन मास हिंदू पंचांग का नौवां महीना है। इसे मार्गशीर्ष भी कहते हैं। इस महीने में शंख पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। ये महीना मांगलिक कार्यों और विवाह के हिसाब से काफी अच्छा होता है। अगहन मास में विवाह करना बहुत शुभ माना जाता है। इस महीने में भगवान श्रीराम का विवाह देवी सीता से हुआ था। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को खुद के बारे में बताते हुए कहा था कि मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं। ये महीना मुझे बहुत प्रिय है। इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है। हेमंत ऋतु और इस महीने की शुरुआत लगभग साथ ही होती है। इसे धरती पर सृजन का काल भी माना जाता है। इसी दौरान नई फसल भी आती है। कार्तिक महीने में भगवान विष्णु के जागने के बाद इसी महीने में शादियां और अन्य मांगलिक काम होते हैं। इसी वजह से ये महीना शुभ और बहुत खास माना जाता है। अगहन मास को मार्गशीर्ष कहने के पीछे कई वजह हैं। इनमें पहली भगवान कृष्ण से जुड़ी है। श्रीकृष्ण की पूजा कई नामों से होती है। इन्हीं में एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का ही नाम है। इस महीने को मगसर, अगहन या अग्रहायण भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार, श्रीकृष्ण ने कहा है मासानां मार्गशीर्षोऽहम् अर्थात् सभी महीनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस महीने का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र बताए गए हैं। इन्हीं 27 नक्षत्रों में से एक है मृगशिरा नक्षत्र। इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है। इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा गया है। सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारम्भ किया था। तब खगोलीय स्थिति अनुकूल होती थीं। मार्गशीर्ष महीने में ही कश्यप ऋषि ने सुन्दर कश्मीर प्रदेश की रचना की थी। इसलिए आज भी इस पूरे महीने भजन-कीर्तन चलता रहता है। इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि अगर किसी की कुंडली में चंद्र दोष है, तो चंद्रमा संबंधी कुछ उपाय करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं या फिर दोष को कम कर सकते हैं। शंख की पूजा करना शुभ- इस माह में शंख की पूजा करना शुभ माना जाता है. क्योंकि शंख में मां लक्ष्मी का वास होता है और भगवान विष्णु इसे धारण करते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि त्रेता युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस महीने मोक्षदा एकादशी का व्रत भी किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस कारण से इस महीने का विशेष महत्व है। पुराणों के मुताबिक इस महीने कम से कम तीन दिन तक ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें तो उसे सभी सुख प्राप्त होते हैं। नहाने के बाद इष्ट देवताओं का ध्यान करना चाहिए। फिर विधिपूर्वक गायत्री मंत्र का जाप करें। स्त्रियों के लिए यह स्नान उनके पति की लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य देने वाला है। इस महीने में शंख पूजन का विशेष महत्व है। साधारण शंख को श्रीकृष्ण को पाञ्चजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं। अगहन मास में भगवान गणेश की पूजा का भी महत्व बताया गया है। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। आप ऊँ नमो भगवते गोविन्दाय, ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय या ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। कर्पूर जलाकर आरती करें और इसके बाद परिक्रमा करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, हार-फूल से श्रृंगार करें। चंदन का लेप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़ों का दान करें। किसी गोशाला में गायों को घास खिलाएं। गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।

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