गणेश जी की पूजा से होते सभी मनोरथ सफल || Vaibhav Vyas


गणेश जी की पूजा से होते सभी मनोरथ सफल

 गणेश जी की पूजा से होते सभी मनोरथ सफल शास्त्रों में आए वृत्तांत के अनुसार भगवान शंकर त्रिपुरासुर का वध करने में जब असफल हुए, तब उन्होंने गंभीरतापूर्वक विचार किया कि आखिर उनके कार्य में विघ्न क्यों पड़ा? तब महादेव को ज्ञात हुआ कि वे गणेशजी की अर्चना किए बगैर त्रिपुरासुर से युद्ध करने चले गए थे। इसके बाद शिवजी ने गणेशजी का पूजन करके उन्हें लड्डुओं का भोग लगाया और दोबारा त्रिपुरासुर पर प्रहार किया, तब उनका मनोरथ पूर्ण हुआ। इसी के चलते आज भी गणेशजी की पूजा प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले की जानी अनिवार्य बताई गई है। साथ ही हिन्दू संस्कृति और पूजा में भगवान श्रीगणेश जी को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि देवगणों ने स्वयं उनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है। श्री गणेश जी को बुध का कारक देव माना जाता है, इसीलिए बुधवार को भगवान गणेश का वार माना जाता है। ऐसे में बुधवार को गणेश की पूजा विशेष मनोरथ सफल करने वाली मानी जाती है। मान्यता के अनुसार गणेश जी की पूजा न केवल आपके कार्यों में आ रही अड़चनों को हटाती है, बल्कि आपकी हर मनोकामना को भी पूरी करती है। माना जाता है कि जैसे भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष सामग्री और विधि की जरूरत नहीं होती है, उसी प्रकार माता पार्वती और शिव पुत्र गणेश को खुश करना भी सरल है। गणेश जी अपने भक्तों की श्रद्धा और भक्ति देखते हैं। जो भक्त इनके प्रति जितनी श्रद्धा रखता है, गणेश जी उस पर उतने ही कृपालु बने रहते हैं। गणेश जी को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए सरल से उपाय करना ही पर्याप्त माना गया है। जैसे- दूर्वा- गणेश जी को खुश करने का सबसे आसान उपाय है दूर्वा से गणेश जी की पूजा करना। दूर्वा गणेश जी को इसलिए प्रिय है क्योंकि दूर्वा में अमृत मौजूद होता है। गणपति अथर्वशीर्ष में कहा गया गया है कि जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा दुर्वांकुर से करता है, वह कुबेर के समान हो जाता है। कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। कुबेर के समान होने का मतलब है व्यक्ति के पास धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है। मोदक- यह तो सर्वविदित है कि गणेश जी को मोदक अत्यन्त प्रिय है। इसलिए गणेश जी को प्रसन्न करने का एक सरल तरीका यह भी है कि आप उन्हें मोदक का भोग लगाएं। गणपति अथर्वशीर्ष में लिखा है कि जो व्यक्ति गणेश जी को मोदक का भोग लगाता है गणपति उनका मंगल करते हैं। मोदक का भोग लगाने वाले की मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों में मोदक की तुलना ब्रह्म से की गयी है। मोदक भी अमृत मिश्रित माना गया है। घी- पंचामृत में एक अमृत घी होता है। घी को पुष्टिवर्धक और रोगनाशक कहा जाता है। भगवान गणेश को घी काफी पसंद है। गणपति अथर्वशीर्ष में घी से गणेश की पूजा का बड़ा महात्म्य बताया गया है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा घी से करता है उसकी बुद्धि प्रखर होती है। घी से गणेश की पूजा करने वाला व्यक्ति अपनी योग्यता और ज्ञान से संसार में सब कुछ हासिल कर लेता है। सनातन व हिन्दू शास्त्रों में भगवान गणेश जी को, विघ्नहर्ता यानि सभी तरह की परेशानियों को खत्म करने वाला बताया गया है। पुराणों में गणेशजी की भक्ति शनि सहित सारे ग्रहदोष दूर करने वाली भी बताई गई हैं। हर बुधवार के शुभ दिन गणेशजी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की रुकावटें भी दूर होती हैं।

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