पुराणों में कार्तिक मास का विशेष महात्म्य || Vaibhav Vyas


 
 पुराणों में कार्तिक मास का विशेष महात्म्य 

पुराणों में कार्तिक मास का विशेष महात्म्य पुराणों में कार्तिक मास की महिमाओं का वर्णन कई जगह मिलता है। कलियुग में जैसे केवल नााम आधारा को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है, वैसे ही कार्तिक मास को भी कलियुग में विशेष महात्म्य का महीना माना गया है, जिसके चलते भगवान विष्णु की सच्चे मन से की गई पूजा-आराधना शीघ्र फलदायी मानी गई है। ऐसे ही एक वर्णन स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में आता है जिसके अनुसार कार्तिक मास के महात्म्य के बारे में बताया गया है।  

1) ब्रह्मा जी कहते हैं मासो मे कार्तिक देवताओं में भगवान विष्णु और तीर्थ में बद्रिकाश्रम तीर्थ श्रेष्ठ है यह तीनों ही कलयुग में अत्यंत दुर्लभ है। 
2) कार्तिक मास भगवान विष्णु को विशेष प्रिय है कार्तिक मास में भगवान विष्णु के उद्देश्य से जो कुछ पुण्य किया जाता है उसका नाश कभी नहीं होता।
 3) इस महीने में सभी देवता मनुष्य के निकट आ जाते हैं। 

यहां कार्तिक मास का संक्षिप्त महात्म्य बताया गया है जिसके अनुसार इस महीने में क्या-क्या करना चाहिए का वर्णन है। 
1) कार्तिक मास में परान्न (दुसरे के घर खाना) का त्याग कर देना चाहिए।
 2) कार्तिक मास में अन्नदान का विशेष महत्व है। 
3) कार्तिक मास में प्रतिदिन निश्चित संख्या में भगवन्नाम का जप करना ही चाहिए। 
4) कार्तिक मास में प्रतिदिन शिव मंदिर या विष्णु मंदिर दर्शन करना चाहिए। 
5) कार्तिक मास में अधिक से अधिक तुलसी और आंवले के वृक्ष का पूजन और रोपण करना चाहिए। 
6) कार्तिक मास में भूमि पर शयन करने का भी बहुत महत्व है।
 7) कार्तिक मास में कमल के द्वारा भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए।
 8) कार्तिक मास में भगवान विष्णु को तुलसीदल अवश्य चढ़ाने चाहिए। 
9) कार्तिक मास में  नित्य तीर्थ स्नान का नियम भी लिया जा सकता है। 
10) नित्य प्रति भागवतमहापुराण का अध्ययन करना चाहिए। 
11) नित्य प्रति कार्तिक मास में भागवत गीता का पाठ करना चाहिए। 
12) कार्तिक मास में पलाश के पत्ते की पत्तल पर भोजन करने का भी बहुत महत्व है। 
13) कार्तिक मास में दाल खाने का निषेध है। 
14) कार्तिक मास में भटा खाने का निषेध है। 
15) कार्तिक मास में आंवल और केले के फल का दान करना चाहिए।
 16) कार्तिक मास में  मंदिर मे दीपदान अनिवार्य रूप से करना चाहिए। 
17) तुलसी व आंवले की परिक्रमा कार्तिक मे करने का बहुत महात्म्य है। 

बिना कुछ नियम लिए कार्तिक व्यतीत नहीं करना चाहिए। इसलिए सभी को ऊपर वर्णित 17 बातों में से किसी एक बात का नियम अवश्य लेना चाहिए और महीने भर उसका पालन करना चाहिए, अधिक नियमों का पालन कर सके तो और अच्छा रहता है। इस प्रकार नियमपूर्वक की गई पूजा-अर्चना शीघ्र फलदायी मानी गई है।

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