भगवान को प्रिय मार्गशीर्ष मास || Vaibhav Vyas


भगवान को प्रिय मार्गशीर्ष मास 


मार्गशीर्षोऽधिकस्तस्मात्सर्वदा च मम प्रिय:।। 
उषस्युत्थाय यो मत्र्य: स्नानं विधिवदाचरेत्।। 
तुष्टोऽहं तस्य यच्छामि स्वात्मानमपि पुत्रक।। 

अर्थात्- श्रीभगवान कहते हैं कि मार्गशीर्ष मास मुझे सदैव प्रिय है। जो मनुष्य प्रात:काल उठकर मार्गशीर्ष में विधिपूर्वक स्नान करता है, उस पर संतुष्ट होकर मैं अपने आपको भी उसे समर्पित कर देता हूं। मार्गशीर्ष में सप्तमी, अष्टमी मासशून्य तिथियां हैं। मासशून्य तिथियों में मंगलकार्य करने से वंश तथा धन का नाश होता है। मार्गशीर्ष को अग्रहायण नाम भी दिया गया है। जिसे अगहन का महीना भी कहा जाता है। अग्रहायण शब्द 'आग्रहायणी' नक्षत्र से संबंधित है जो मृगशीर्ष या मृगशिरा का ही दूसरा नाम है। अग्रहायण का तद्भव रूप 'अगहन' है। वैदिक काल से मार्गशीर्ष माह का विशेष महत्व रहा है। प्राचीन समय में मार्गशीर्ष से ही नववर्ष का प्रारंभ माना जाता था। मार्गशीर्ष माह में सनातन संस्कृति के दो प्रमुख विवाह संपन्न हुए थे। शिव विवाह तथा राम विवाह। मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को राम विवाह हुआ था। वहीं शिवपुराण, रुद्रसंहिता, पार्वतीखण्ड के अनुसार सप्तर्षियों के समझाने से हिमवान ने शिव के साथ अपनी पुत्री का विवाह मार्गशीर्ष माह में निश्चित किया था। तब से इस मास का महत्व बहुत खास माना जाता है। इस मास में पूजा-पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो मार्गशीर्ष मास को एक समय भोजन करके बिताता है और अपनी शक्ति के अनुसार, ब्राह्मण को भोजन कराता है, वह रोग और पापों से मुक्त हो जाता है। वह सब प्रकार के कल्याणमय साधनों से सम्पन्न तथा सब तरह की औषधियों से भरा-पूरा होता है। मार्गशीर्ष मास में उपवास करने से मनुष्य दूसरे जन्म में रोग रहित और बलवान होता है। उसके पास खेती-बारी की सुविधा रहती है तथा वह बहुत धन-धान्य से संपन्न होता है। शिवपुराण के अनुसार, मार्गशीर्ष में चांदी का दान करने से वीर्य की वृद्धि होती है। मार्गशीर्ष में अन्नदान का सर्वाधिक महत्व है। अर्थात मार्गशीर्ष मास में केवल अन्न का दान करने वाले मनुष्यों को ही संपूर्ण अभीष्ट फलों की प्राप्ति हो जाती है। ऐसी भी मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास में अन्न का दान करने वाले मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। नित्य प्रति नियमपूर्वक स्नानादि से निवृत होने के पश्चात् विधि-विधान से भगवान की पूजा-अर्चना करने से दैनिन्दिन समस्याओं से मुक्ति मिलने वाली मानी गई है, वहीं नियमपूर्वक की गई पूजा-आराधना से ग्रह बाधाओं का भी शमन होने लगता है। मार्गशीर्ष माह महीने को जप, तप और ध्यान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदायी होता है। इस महीने में मंगलकार्य विशेष फलदायी होते हैं। श्रीकृष्ण की उपासना और पवित्र नदियों में स्नान विशेष शुभ होता है। इस महीने में संतान के लिए वरदान बहुत सरलता से मिलता है। साथ ही साथ चन्द्रमा से अमृत तत्व की प्राप्ति भी होती है। इस महीने में भजन-कीर्तन करने का फल अमोघ माना गया है।

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