कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का विशेष महत्व || Vaibhav Vyas


 कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का विशेष महत्व 

कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का विशेष महत्व देवउठनी एकादशी के दिन देवता जागृत होते हैं। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन वे यमुना तट पर स्नान कर दिवाली मनाते हैं, इसीलिए इसे देव दिवाली कहते हैं। दूसरी मान्यता के अनुसार, बालि से वामनदेव द्वारा स्वर्ग की प्राप्ति की खुशी में यह दिवाली मनाई जाती है। इस पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह तुलसी जी की विधि-विधान से पूजा करके शाम को उनके सामने शुद्ध देशी घी का दिया जलाना चाहिए. इस उपाय को करने पर सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान-ध्यान के बाद पीपल के पेड़ की जड़ों में मीठा जल डालने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन-धान्य से घर भर देती हैं।  कार्तिक पूर्णिमा के दिन रात के समय चंद्र देवता को दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर अघ्र्य देना चाहिए, इस उपाय को करने पर कुंडली से जुड़ा चंद्र दोष दूर होता है। अघ्र्य देने के बाद चंद्रदेव के मंत्र 'ऊँ सों सोमाय नम:' का जप भी करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा की शाम को विशेष रूप से चंद्र दर्शन करना चाहिए। यदि इस दिन पति-पत्नी साथ मिलकर चंद्रमा का दर्शन और उन्हें गाय के दूध का अघ्र्य देते हैं तो उनके दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। धन-धान्य की कामना रखने वाले लोगों को कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्री सूक्त, कनकधारा स्त्रोत, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। माता लक्ष्मी की पूजा के साथ इनमें से यदि किसी एक का पाठ आप श्रद्धा भाव से करते हैं तो माता लक्ष्मी अवश्य ही प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से विशेष फल की प्राप्िित होती है क्योंकि इस दिन आकाश से अमृत वृष्टि होती है। इसी अमृत को पाने के लिए लाखों श्रद्धालु धर्मनगरी में स्नान करने आते हैं। इस दिन अपने घर को गंदा बिल्कुल ना छोड़ें और साफ-सफाई जरूर करें। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी जी का आगमन होता है। अपने घर के द्वार को भी सजाएं। घर के द्वार के सामने स्वास्तिक बनाएं तथा विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा करें। कार्तिक पूर्णिमा पर चांद जरूर देखें और साथ ही उसे मिश्री और खीर का भोग चढ़ाएं। इस दिन गो दान का फल अनंत पुण्यदायी है। इस दिन दीपदान करने का भी महत्व होता है। इससे घर की सभी परेशानियां दूर होती हैं और सुख का वास होता है। यदि आप किसी कारण नदी में दीपदान नहीं कर सकते तो इस दिन किसी पास के मंदिर में जा कर दीप-दान करना चाहिए। चावल, शक्कर और दूध का दान या बहुत थोड़ी मात्रा में नदी में इन्हें बहाने से भी अक्षय पुण्य फल मिलता है।

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