पापों से मुक्ति दिलाता प्रदोष व्रत || Vaibhav Vyas


 पापों से मुक्ति दिलाता प्रदोष व्रत 

पापों से मुक्ति दिलाता प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन मुख्य रूप से शिव जी और माता पार्वती का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि जो प्रदोष में पूरे भक्ति भाव से पूजन और व्रत करता है उसको समस्त पापों से मुक्ति मिलने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। हर महीने  की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है और यह व्रत महीने में दो बार होता है। पहला प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में पड़ता। वैसे तो सभी प्रदोष व्रतों का अपना अलग महत्व है, लेकिन कार्तिक महीने में पडऩे वाले प्रदोष व्रत का विशेष फल प्राप्त होता है क्योंकि ये महीना हिन्दुओं के सबसे पवित्र महीनों से से एक है। हर प्रदोष व्रत का नाम सप्ताह के वार के अनुसार होता है और इसके फल की प्राप्ति भी उसी के अनुसार, बढ़ जाती है। प्रत्येक प्रदोष पर व्रत और पूजन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और वे अपने भक्तों के समस्त संकटों को दूर कर देते हैं। प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण-वाचन करने से व्रत का पूरा फल मिलने वाला रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति नियम और निष्ठा से प्रत्येक प्रदोष का व्रत रखता है उसके कष्टों का नाश होता है। इस व्रत को करने भगवान शिव की कृपा से सुख-शांति व समृद्धि आती है। प्रदोष व्रत का पूजन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के समय किया जाना श्रेयष्कर रहता है। त्रयोदशी तिथि को प्रात: उठकर स्नानादि करके दीपक प्रज्वलित करके व्रत का संकल्प लेते हैं। पूरे दिन व्रत करने के बाद प्रदोष काल में किसी मंदिर में जाकर पूजन करना चाहिए। यदि मंदिर नहीं जा सकते तो घर के पूजा स्थल या स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग स्थापित करके पूजन करना चाहिए। शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी व गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। धूप-दीप फल-फूल, नैवेद्य आदि से विधिवत् पूजन करना चाहिए। पूजन और अभिषेक के दौरान शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करते रहें। किसी भी पूजा-उपासना में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व रहता है। ऐसे में प्रदोष व्रत में भी पूजा-अर्चना शुभ मुहूर्त में करने से शीघ्र फलदायी रहती है।

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