गुरु प्रदोष व्रत से शत्रुओं पर मिलती विजय || Vaibhav Vyas


गुरु प्रदोष व्रत से शत्रुओं पर मिलती विजय  

गुरु प्रदोष व्रत से शत्रुओं पर मिलती विजय प्रत्येक माह में दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस समय आश्विन माह चल रहा है और इस माह का आखिरी प्रदोष व्रत 26 अक्तूबर 2023, दिन गुरुवार को है। इस दिन गुरुवार होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। प्रदोष व्रत शिव जी को समर्पित है। इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव शंकर की पूजा अर्चना की जाती है। गुरु प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इस दिन व्रत और पूजन करने से भोले भंडारी और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जातकों के जीवन में खुशियां आती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त- आश्विन माह की त्रयोदशी तिथि 26 अक्तूबर की सुबह 08 बजकर 49 मिनट से शुरू हो रही है। इसका समापन अगले दिन 27 अक्तूबर की सुबह 06 बजकर 57 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए यह व्रत 26 अक्तूबर को ही रखा जाएगा। शिव पूजा का समय- 26 अक्तूबर को शिव पूजा का समय शाम 05 बजकर 41 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक है। गुरु प्रदोष पूजा विधि- गुरु प्रदोष के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रात:काल स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान का स्मरण कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें।  सायंकाल में पूजा के दौरान भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, फूल, धतूरा, गंगाजल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। अब प्रदोष की कथा पढ़ें और शिव जी की आरती करें। पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान करांए। अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत का समापन करें। इस दिन शिव जी के निम्न मंत्रों का जाप विशेष फलदायी माना गया है- 1- ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्। 2- ऊँ नम: शिवाय। 3- ऊँ नमो भगवते रुद्राय नम:

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