शिवजी से मिला गणेशजी को विघ्नहर्ता का वरदान || Vaibhav Vyas


शिवजी से मिला गणेशजी को विघ्नहर्ता का वरदान 

शिवजी से मिला गणेशजी को विघ्नहर्ता का वरदान श्री गणेशजी को विघ्नहर्ता, संकटहर्ता और प्रथम पूज्य आदि स्वरूपों में मान्यता है, जिसके चलते किसी भी कार्य की सम्पूर्णता का आधार सर्वप्रथम गणेश पूजन ही माना जाता रहा है। श्री गणेशजी को यह वरदान स्वयं शिवजी ने प्रदान किया, जिसके चलते श्री गणेशजी न केवल देवों के अपितु समस्त प्राणी-जगत के विघ्नहर्ता बन संकटों को दूर करने वाले देवता प्रतिष्ठापित हुए। इसके बारे में पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवताओं पर विपदा आई। इससे चिंतित होकर इसके निवारण के लिए मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। कार्तिकेय और गणेश भी वहीं बैठे थे। समस्या सुनकर शिवजी ने कार्तिकेय व गणेश से पूछा- तुममें से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। शिव ने कहा-तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा, वही देवताओं की मदद करने जाएगा। यह सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए तुरंत ही निकल गए। परंतु गणेशजी सोच में पड़ गए कि वह मन्द गति से दौडऩे वाले अपने वाहन चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा। उन्होंने उपाय लगाया। वे अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। जब परिक्रमा से लौटे कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिवजी ने श्रीगणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा। तब गणेश ने कहा- माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं। यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। भगवान शिव ने गणेशजी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अघ्र्य देगा, उसके तीनों ताप दूर होंगे। एक अन्य प्रसंग में महाभारत काल में भी गणेशजी से संकटों के निवारण की गुहार की गई थी। इसके अनुसार जब पांडव वनवास काट रहे थे तब उन्होंने महर्षि वेद व्यास से अपने संकटों के निवारण का आध्यात्मिक समाधान मांगा था। महर्षि ने पांडवों को चतुर्थी का व्रत करने और गणेशजी को प्रसन्न करने का उपाया सुझाया, जिसे सहर्ष स्वीकार कर पांडवों ने गणेशजी से प्रसन्नता को प्राप्त किया और अन्तत: सफलता को प्राप्त किया।

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