सिद्धि विनायक करते हैं शीघ्र मनोकामना पूर्ति || Vaibhav Vyas


 सिद्धि विनायक करते हैं शीघ्र मनोकामना पूर्ति 


सिद्धि विनायक करते हैं शीघ्र मनोकामना पूर्ति पुराणों में वर्णित है कि भगवान विष्णु जब सृष्टि की रचना कर रहे थे तो इस दौरान उन्हें नींद आ गई और भगवान विष्णु निद्रा में चले गए। तभी उनके दोनों कानों से मधु और कैटभ नाम के दो राक्षस उत्पन्न हो गए और यह दोनों महाबली राक्षस देवताओं और ऋषि मुनियों पर अत्याचार कर उन्हें लगातार उन्हें परेशान करने लगे। जब इन राक्षसों का अत्याचार दिन दूना और रात चौगुना की गति से बढऩे लगा, तब देवता परेशान होकर भगवान विष्णु की शरण में गए और इन दोनों राक्षसों के वध की कामना करने लगे। तब भगवान विष्णु निद्रा से जगे और इन राक्षसों का वध करने को उद्यत हुए, किन्तु वह ऐसा करने में असफल हो गए। इसके बाद सभी देवता भगवान गणेश की शरण में गए और भगवान गणेश की सहायता से मधु और कैटभ नाम के राक्षसों का वध संभव हो सका। इसके बाद भगवान विष्णु ने एक पहाड़ी पर भगवान गणेश के मंदिर की स्थापना की जिसके बाद वह स्थान सिद्धिटेक और मंदिर को सिद्धिविनायक के नाम से जाना जाने लगा। सामन्यत: भगवान गणेश की मूर्ति में सूंड बायीं तरफ रहती है, लेकिन सिद्धि विनायक गणेश जी की मूर्ति में सूड़ दाईं तरफ मुड़ी होती है। इस रूप को सिद्धपीठ माना जाता है इसी वजह से सिद्धिविनायक की महिमा अपरंपार है, वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। नियमित रूप से सिद्धि विनायक की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-सम्पन्नता बनी रहती है। श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना के पश्चात सिद्धि विनायक के इन मंत्रों का जाप आत्मिक संतुष्टि देने वाला होता है। ऊँ सिद्धिविनायक नमो नम: ऊँ नमो सिद्धिविनायक सर्वकार्यकत्रयी सर्वविघ्नप्रशामण्य सर्वराज्यवश्याकारण्य सर्वज्ञानसर्व स्त्रीपुरुषाकारषण्य। यथासंभव इन मंत्रों का जाप किया जाए तो निश्चित ही सारे विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलने वाली होती है और गणपति का आशीर्वाद बना रहता है।

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