ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय || Vaibhav Vyas


ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय

 ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय भाद्रपद के महीने में कृष्ण भगवान की आराधना विशेष रूप से की जाती है। माना जाता है कि अगर इस पूरे महीने कृष्ण की भक्ति कर ली जाए तो बाधाओं से मुक्ति मिलकर आत्मिक संतुष्टि का भाव पनपने लगता है। इस महीने श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना के साथ ही श्रीमद्भागवत गीता का पाठ प्रतिदिन किया जाए तो भगवान का आशीर्वाद मिलता है। वैसे भी, श्रीमद्भागवत गीता का पढऩे से आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि दोनों साथ ही प्राप्त होने वाली होती है और जीवन में आने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलने लगता है। गीता के श्रवण-वाचन से भगवान तो प्रसन्न होते ही हैं साथ ही मन की प्रसन्नता सकारात्मकता देने वाली होती है। साथ ही भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त करनी है तो इस पूरे महीने रोज़ाना जब भी सुबह-शाम पूजा करें तो ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र को श्रीकृष्ण का महामंत्र गया है। इसके निरन्तर जाप से नंदलाल प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। धार्मिक मान्यताओं में तुलसी की महिमा का गुणगान आता है, जो श्रीकृष्ण को अतिप्रिय भी है। इसीलिए कृष्ण की पूजा को समर्पित इस खास महीने में उन्हें तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाएं तो अति शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भाद्रपद के महीने में कृष्ण की आराधना में जितने अधिक समय लीन रहेंगे फल भी उतने ही जल्दी मिलने वाले रहेंगे। कृष्ण के मंत्र या फिर उनके भजन कीर्तन में ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस पवित्र महीने में धर्म-कर्म का विशेष महत्व होता है। इसी वजह से इस माह में थोड़ी बहुत ही पूजा-अर्चना करने से अधिक फल की प्राप्ति होने वाली रहती है। भाद्रपद के माह में भी सुबह-सुबह की पूजा-अर्चना के अलावा शाम के समय भी नित्य पूजा-अर्चना के साथ ही धूप-अगरबत्ती करनी चाहिए। श्रीकृष्ण के ही स्वरूप शालीग्राम जी की पूजा-अर्चना के पश्चात् तुलसी का पत्ता अवश्य अर्पित करना चाहिए तथा श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लाड्डू गोपाल को माखन-मिश्री का भोग लगाने से कृष्ण की कृपा पात्र बनने वाले होते हैं। शुद्ध सात्विक खान-पान के साथ ही नित्य प्रति नियमपूर्वक पूजा का संकल्प करके पूजा-आराधना का विशेष फल प्राप्त मिलने वाला होता है। साथ ही दान-पुण्य की महिमा को अपनाकर यथासंभव जरूरतमंदों को दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए और गायों को हरी घास, गुड़ खिलाने के साथ गौ माता की पूजा-अर्चना करने से आने वाली विपत्तियों से भी बचा जा सकता है।

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