रुद्राक्ष की माला से जपें शिव मंत्र || Vaibhav Vyas


रुद्राक्ष की माला से जपें शिव मंत्र 

रुद्राक्ष की माला से जपें शिव मंत्र श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा धूम-धाम से की जाती है। मान्यता के अनुसार श्रावन मास भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है। इस समय शिव को प्रसन्न करने के लिए तमाम उपाय किये जाते हैं। सावन में उन सभी चीजों का महत्व बढ़ जाता है जो भगवान शिव की पूजा मे प्रयोग किया जाता है। उन्हीं में से एक रुद्राक्ष की माला है जिससे भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है। रुद्राक्ष माला को भगवान शिव का अंश माना जाता है। सावन में रुद्राक्ष माला से शिव मंत्र जाप करने से सभी से मनोकामनाएं पूर्ण होकर आत्म संतुष्टि के भाव जागृत होने लगते हैं। भगवान शिव को रुद्रास अतिप्रिय है इसलिए श्रावण में शिव के मंत्र का जाप रुद्राक्ष माला से करना चाहिए। श्रावण में इस माला के जाप से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष भगवान शिव का ही अंश माना जाता है। ऐसे में महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करने पर यह शीघ्र फलदायी माना गया है। महा मृत्युंजय मंत्र- ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्र्वाारुकमिव बन्धनामृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। संपुटयुक्त महा मृत्युंजय मंत्र- ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्र्वाारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ स्व: भुव: भू: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।। लघु मृत्युंजय मंत्र- ऊँ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ऊँ। किसी अन्य के लिए जाप करना हो तो-ऊँ जूं स (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं ऊँ। वैसे शिव के किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं। हालांकि महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करना चाहिए। सावन में शिव जी और उनके परिवार के लिए मन्त्र जाप रुद्राक्ष की माला से लाभकारी और शीघ्रफलदायी होता है।  रुद्राक्ष में शक्ति और औषधीय गुण रुद्राक्ष की शक्ति और औषधीय गुणों को वैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध किया जा चुका है। रुद्राक्ष एक वनस्पति है। इसके पेड़ पर बेर की तरह फल लगते हैं। रुद्राक्ष को रात भर पानी में भिगोकर रखने और सुबह खाली पेट यह पानी पीने से ह्दय रोग नहीं होता। यह स्वभाव से प्रभावी होता है लेकिन यदि इसे विशेष तौर से सिद्ध किया जाए तो इसका प्रभाव कई गुना अधिक महसूस होता है। अगर जप की माल सिद्ध करनी हो तो पंचगव्य (पंचामृत) में डुबोएं, फिर साफ पानी से धो लें। ध्यान रहे कि हर मणि पर ईशान: सर्वभूतानां मंत्र 10 बार बोलें। मेरू मणि पर स्पर्श करते हुए ऊं अघोरे भो त्र्यंबकम् मंत्र का जाप करें। यदि एक ही रुद्राक्ष सिद्ध करना हो तो पहले उसे पंचगव्य से स्नान कराएं। इस के बाद गंगा स्नान कराएं। बाद में उसकी षोडशोपचार पूजा करें, फिर उसे चांदी के डिब्बे में रखें। उस पर प्रतिदिन या महीने में एक बार इत्र की दो बूंदें जरूर डालें। भगवान के चरणों का स्पर्श कराकर मनचाही मनोकामना कर सकते हैं। रुद्राक्ष से मंगलकामना- रुद्राक्ष से आपकी मनोकामना भी पूरी हो सकती है। कहते हैं कि चतुर्मुखी रुद्राक्ष अध्ययन के लिए, पंचमुखी रुद्राक्ष नित्य जप करें, षडम्मुखी रुद्राक्ष पुत्र प्राप्ति के लिए, चतुर्दश एवं पंचदशमुखी रुद्राक्ष लक्ष्मी प्राप्ति के लिए तथा इक्कीसमुखी रुद्राक्ष केवल ज्ञान प्राप्ति के लिए, धारण कर सकते हैं। दरअसल रुद्राक्ष सिद्ध करना सहज बात है पर सिद्ध रखना मुश्किल है। दुराचार, अनाचार, व्यभिचार और असत्य वचन आदि कारणों से रुद्राक्ष की सिद्धि कम हो जाती है। रुद्राक्ष धारण पद्धति- मान्यता के अनुसार गले में 32 रुद्राक्षों की माल, सिर 40 रुद्राक्षों की माला, कानों में 6 या 8 रुद्राक्षों की माला, चोटी की जगह 1 वक्षस्थल पर 108 रुद्राक्षों की माला धारण करने की विधि ही रुद्राक्ष धारण पद्धति कहलाती है। वर्तमान में गले में 108 या 32 रुद्राक्ष पहनने की प्रथा है। शिवपूजन के समय रुद्राक्ष धारण करने की विधि विशेष फलदायी रहती है।

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