सावण पूर्णिमा व्रत से शुभ फलों की प्राप्ति || Vaibhav Vyas


 सावण पूर्णिमा व्रत से शुभ फलों की प्राप्ति 

 सावण पूर्णिमा व्रत से शुभ फलों की प्राप्ति सावन महीने की पूर्णिमा तिथि 31 अगस्त को है और इसी दिन सावन पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। सावन पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है और इसी दिन पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाता है। हालांकि इस बार पूर्णिमा तिथि 30 और 31 अगस्त दो दिनों को पड़ रही है, लेकिन व्रत 31 को ही रखा जाएगा। श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा की जानी चाहिए और किसी नदी-सरोवर में स्नान करके उन्हें प्रसाद अर्पित करने से शुभ फल मिलता है। वैसे तो पूर्णिमा के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, लेकिन सावन पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के साथ भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा भी की जाती है। सावन पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को 10 बजकर 58 मिनट पर हो रही है और अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर इसका समापन होगा। इस दिन भगवान विष्णु के साथ भोलेनाथ की पूजा करें। भगवान शिव को गंगाजल अर्पित कर। उन्हें मदार के फूल की माला, चंदन, धतूरा, अक्षत और भांग चढ़ाएं. इसके बाद अगरबत्ती और दीप जलाकर आरती करें। भगवान विष्णु की पूजा करते वक्त पीले वस्त्र धारण करें कथा पढ़ें और आरती करें। प्रसाद में बनाएं मालपुआ- सावन पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाता है। उत्तर भारत समेत देश के अधिकतर हिस्सों में इस दिन मालपुए बनाने की परंपरा है। सावन पूर्णिमा पर भगवान के भोग में भी मालपुए चढ़ाएं। पूर्णिमा के दिन संभव हो तो किसी तीर्थ स्थान पर स्नान करने के पश्चात भगवान की पूजा-अर्चना करने के बाद दान-पुण्य करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत करने वालों को पूर्णिमा की कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए जिससे व्रत का सम्पूर्ण फल मिलने वाला रहता है। पूर्ण विधि-विधान से की गई पूजा-अर्चना से भगवान प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं जिससे परेशानियों से तो निजात मिलती ही है, साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होने वाली रहती है। इस दिन संध्या समय चन्द्रोदय के समय चन्द्र देव को अघ्र्य देवे और चन्द्र के मंत्रों का जाप करना चाहिए, जिससे मानसिक संतुष्टि मिलती है और घर परिवार में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।

Comments