शिव को अक्षत चढ़ाने से होती मनोकामनाएं पूर्ण || Vaibhav Vyas


 शिव को अक्षत चढ़ाने से होती मनोकामनाएं पूर्ण 

शिव को अक्षत चढ़ाने से होती मनोकामनाएं पूर्ण भगवान शिव को जगकर्ता और दुखहर्ता माना जाता है। भगवान शिव सृष्टि का संचालन करने के साथ-साथ संहारक का रूप भी धर लेते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भोले बाबा  की विधिवत पूजा करने से वह जल्द ही व्यक्ति की हर इच्छा को पूरा करते हैं। इसके साथ ही हर दुख-दर्द और पाप से मुक्ति मिल जाती है। भगवान शिव को जलाभिषेक, रुद्राभिषेक करने के साथ-साथ कई चीजें अर्पित की जाती है। इन्हीं में से एक चीज है चावल। मान्यता है कि भगवान शिव को अक्षत चढ़ाने से वह जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे चढ़ाएं शिवलिंग पर चावल- सबसे पहले साफ 108 चावल के दाने गिन लें। इस बात का ध्यान रखें कि वह टूटे हुए न हो। इसके बाद शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर सबसे पहले जल चढ़ाएं। इसके बाद फूल, बेलपत्र आदि चढ़ाने के साथ चंदन का लेप लगाएं। इसके बाद हथेली में 108 चावल के दाने लेकर चंदन का लेप जहां पर लगाया है वहां पर इन्हें एक साथ अर्पित कर दें। इसके साथ ही अपनी मनोकामना कहें। ऐसा करने से आपकी मनोकामना जल्द ही पूरी होने वाली रहती है। माना जाता है शुभ- धार्मिक शास्त्रों में अक्षत को बहुत ही पवित्र चीजों में से एक माना जाता है। साबुत कच्चे चावल देवी-देवता को चढ़ाने से शुभ फलों की प्राप्ति होने के साथ आर्थिक लाभ मिलता है।  पूजा में अक्षत चढ़ाने का भाव यह है कि हमारा पूजा भी अक्षत की तरह पूर्ण हो, इसमें किसी भी तरह की बाधा न आएं। सुख-समृद्धि- चावल को अन्न में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इसके साथ ही सफेद रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है। चावल चढ़ाते समय भगवान से प्रार्थना की जाती है कि उसके सभी कार्य पूरे हो जाएं और जीवन में सुख-समृद्धि के साथ शांति बनी रहे। न चढ़ाएं खंडित चावल- अक्षत को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए कभी भी देवी-देवता को टूटा हुआ चावल नहीं चढ़ाना चाहिए। शिव पर अक्षत अर्पित करने से धन लाभ के साथ मान-सम्मान प्राप्त होता है।

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