अमावस्या पर पीपल की पूजा से सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति || Vaibhav Vyas


अमावस्या पर पीपल की पूजा से सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति  

अमावस्या पर पीपल की पूजा से सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति हिन्दू धर्म में सभी तिथियों का विशेष महत्व है। इन सभी में अमावस्या तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। अधिक मास में पडऩे वाली अमावस्या तिथि तीन साल के अंतराल के बाद आती है। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर स्नान-दान, पूजा-पाठ और तर्पण इत्यादि कर्म करने से साधकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। साथ ही इस वर्ष अधिक मास में पडऩे वाली अमावस्या तिथि के दिन विशेष संयोग का निर्माण हो रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का शुभारंभ 15 अगस्त दोपहर 12 बजकर 42 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 16 अगस्त दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर हो जाएगा। अधिक मास की अमावस्या 15 अगस्त 2023, मंगलवार के दिन पड़ रहा है। इस विशेष दिन पर सावन अधिक मास का पंचम मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। मंगलवार के दिन पडऩे के कारण इसे दर्शन अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार अमावस्या 16 अगस्त को मानी जाएगी। श्रावण अधिक मास की अमावस्या तिथि के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। ऐसा करने के साथ वृक्ष की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। साथ ही इस विशेष दिन पर पीपल के अतिरक्त बरगद, तुलसी, शमी इत्यादि की पूजा भी करें। पीपल के वृक्ष की उपासना को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस वृक्ष में त्रिदेवों का वास होता है। इस दिन भगवान शिव को काला तिल अर्पित करें। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही श्रावन अमावस्या तिथि के दिन तुलसी के पौधे के निकट भी दीपक प्रज्वलित करें। शास्त्रों में अमावस्या तिथि के महत्व को विस्तार से बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या तिथि के दिन स्नान-दान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। साथ ही कुंडली में उत्पन्न हो रहे ग्रहों के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिल जाता है। इस विशेष दिन पर पीपल के वृक्ष की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

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