महामृत्युंजय मंत्र की महिमा || Vaibhav Vyas


महामृत्युंजय मंत्र की महिमा 

महामृत्युंजय मंत्र की महिमा $(1) धार्मिक ग्रथों में भगवान शिव के कई स्वरूपों का वर्णन किया गया है। इसमें से भगवान शिव का एक स्वरूप महामृत्युंजय स्वरूप भी है। इस स्वरूप में भगवान शिव हाथों में अमृत लेकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। ऐसे में महामृत्युंजय मंत्र के जाप से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। मान्यता भी है कि भगवान शिव भोलेनाथ की आराधना करने से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और इनके मंत्रों का जाप करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। धार्मिक ग्रथों में भगवान शिव के कई स्वरूपों में से एक स्वरूप महामृत्युंजय स्वरूप न केवल व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान बल्कि इसके इतर मौत के मुंह से भी बचाने की क्षमता रखने वाला है। इसके अनेक उदाहरण धार्मिक ग्रंथों में मिलते हैं। शास्त्र कहते हैं कि भगवान शिव के अनेक स्वरूपों में एक महामृत्युंजय स्वरूप भी है। इसलिए महादेव को मृत्युंजय भी कहा जाता है। वहीं महामृत्युंजय मंत्र में भगवान शिव के महामृत्युंजय स्वरूप से आयु की रक्षा प्रार्थना की गई है। इस मंत्र के छोटे और लंबे दो स्वरूप हैं। मंत्र के इन दोनों स्वरूपों का जाप करने से व्यक्ति हमेशा सुरक्षित रहता है। महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग कई तरह से किया जाता है। इसका प्रयोग सामान्य रूप और विशेष रूप से भी कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के कई विशेष दोष को दूर करने में भी ये मंत्र ही कारगर सिद्ध हो सकता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय बरतें ये सावधानियां- इस मंत्र को जपने की कई सावधानियां और नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करके अगर महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाए तो ये ज्यादा प्रभावशाली होता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप सुबह और शाम दोनों समय किया जा सकता है। अगर कोई संकट की स्थिति है तो इस मंत्र का जाप कभी भी किया जा सकता है। इस मंत्र का जाप शिवलिंग के सामने या भगवान शिव की मूर्ति के सामने करना ज्यादा बेहतर होता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। ऐसा करना शुभ माना जाता है। मंत्र का जाप करने से पहले भगवान शिव को जल और बेलपत्र अर्पित करें और फिर मंत्र का जाप करें। ऐसा करना ज्यादा उत्तम होता है।

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