शिव को प्रसन्न करने वाले सिद्ध मंत्र || Vaibhav Vyas


 शिव को प्रसन्न करने वाले सिद्ध मंत्र 

शिव को प्रसन्न करने वाले सिद्ध मंत्र भगवान भोलेनाथ को देवों के देव महादेव कहे जाते हैं। पुराणों में उल्लेख है कि जब ब्रम्हांड की संपूर्ण शक्ति या सारे देवता हार मान जाते हैं तो भोले बाबा ही उसका उपाय सुझाते हैं। शिवजी की आराधना बड़ी ही लाभकारी है। पुराणों में यहां तक उल्लेख है कि एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से भोलेबाबा प्रसन्न हो जाते हैं और मनवांछित फल देते हैं। भगवान शिव शाम प्रकृति एवं रुद्रों के लिए भी जाने जाते हैं। देवताओं में शिवजी को एकदम अलग पाया गया है। सृष्टि की उत्पत्ति स्थिति एवं संहार के भी यह आधिपति कहे गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदेश कर्ता हैं। ये कालों के काल महाकाल एवं ज्योतिष शास्त्र के आधार हैं। महा अघोरी और तंत्र मंत्र के रचयिता भी हैं। यह तंत्र को और अघोरियों की भी परम आराध्य हैं इनके अनेकों अवतार हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के सबसे सरल एवं सिद्ध किए हुए मंत्र। इन्हें देवों का देव महादेव भी कहा जाता है। शिवजी की आराधना का मूल मंत्र तो ऊं नम: शिवाय ही है। लेकिन इस मंत्र के अतिरिक्त भी कुछ मंत्र हैं जिनसे भगवान शिव बेहद प्रसन्न हो जाते हैं। ध्यान- ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं,रत्नाकलोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीति हस्तं प्रसन्नं। पद्माशीनं समन्तात स्तुरिममरगणेव्यार्घृतिं वसानं,विश्ववाध्यं विश्ववन्द्यम निखिल भहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम।। स्वच्छ स्वर्णपयोदं भतिकजपावर्णेभिर्मुखे: पंचभि:,त्र्यक्षरैचितिमीशमिन्दुमुकुटं सोमेश्वराख्यं प्रभुम। शूलैटंक कृपाणवज्रदहनान-नागेन्द्रघंटाकुशान, पाशं भीतिहरं उधानममिताकल्पोज्ज्वलांग भजे।। ध्यान करें- वन्दे देव उमापतिं सुरुगुरु वन्दे जगत्कारणम, वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पशूनांपतिम। वन्दे सूर्य शशांक वहिनयनं वन्चे मुकुन्दप्रिय:, वन्दे भक्तजनाश्रयं च वरदं वन्दे शिवशंकरम। शान्तं पदमासनस्थं शशिधर मुकुटं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम, शूलं वज्र च खडग परशुमभयदं दक्षिणागे वहन्न्तम। नाग पाशं च घंटां डमरूकसहितं सांकुशं वामभागे, नानालंकार दीप्तं स्फ़टिकमणिनिभं पार्वतीशं नमामि। कर्पूर गौरं करुणावतारं संसार सारं भुजगेन्द्र हारम, सदा बसन्तं ह्रदयार विन्दे भवं भवानी सहितं नमामि। नमस्कार- ऊँ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च। तव तत्वं न जानामि कीदृशोऽसि महेश्वर। यादशोसि महादेव तादृशाय नमोनम:। त्रिनेत्राय नमज्ञतुभ्यं उमादेहार्धधारिणे। त्रिशूल धारिणे तुभ्यं भूतानां पतये नम:।। गंगाधर नमस्तुभ्यं वृषमध्वज नमोस्तु ते। आशुतोष नमस्तुभ्यं भूयो भूयो नमो नम:।। शिव मूल मंत्र- ऊँ नम: शिवाय। महामृत्युंजय मंत्र- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। महामृत्युञ्जय मंत्र- ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ रुद्र गायत्री मंत्र- ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।

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