अमोघ पुण्य प्रदान करने वाले हैं शिव || Vaibhav Vyas


अमोघ पुण्य प्रदान करने वाले हैं शिव  

अमोघ पुण्य प्रदान करने वाले हैं शिव मान्यता है कि श्रावण माह में भगवान शिव की अल्प पूजा से भी अमोघ पुण्य यानी अथाह पुण्य की प्राप्ति होती है। सावन में शिव की पूजा करना अनंत कष्टों से मुक्ति दिलाता है। भगवान शिव को पाने के लिए देवी पार्वती ने घनघोर तप किया था। सोमवार और शिव जी के संबंध के कारण ही मां पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था और यही कारण है कि शिवजी को यह श्रावण मास अत्यधिक प्रिय है और वह वैवाहिक और संतान सुख प्रदान करने वाले माने गए हैं। सावन के सोमवार को भगवान शिव व देवी पार्वती की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। साथ ही यदि कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह में अड़चन आती हो तो सावन का सोलह सोमवार व्रत बहुत फलदायी होगा। यदि कुंडली में आयु कम हो या रोग व मानसिक अशांति हो तो सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है। श्रावण मास में सोमवार का विशेष महत्व है और इस दिन पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आज के दिन की आराधना से वैवाहिक जीवन और संतान सुख के साथ बहुत से पुण्य लाभ मिलते हैं। सावन में सोमवार का महत्व एक नहीं दो कारणों से ज्यादा होता है। पहला सोमवार का दिन भगवान शंकर के साथ चंद्रदेव का भी होता है। दूसरा सावन शिवजी का सबसे प्रिय माह होता है। इसी वजह से सावन के सोमवार का महत्व अपने आप बढ़ जाता है। इतना ही नहीं भगवान शिव से भी चंद्रदेव का संबंध है। भगवान शिव के जटा में विराजे चंद्रदेव भगवान शंकर को विष के ताप से बचाकर शीतलता प्रदान करते हैं। इस तरह चंद्र की पूजा से शिव की पूजा और शिव की पूजा से चंद्र की पूजा जुड़ी हुई है। भगवान शिव के विष की उग्रता के साथ ही चंद्रदेव ताप की उग्रता को भी हरते हैं। सावन माह में सोमवार की पूजा से शिव और चंद्र दोनों ही प्रसन्न होते हैं। सावन में गर्मी अपने प्रचंड रूप में होती है। ऐसे में चंद्र की शीतलता से मनुष्यों को राहत मिलती है। इसलिए सावन मे सोमवार की पूजा का महत्व इस कारण भी बढ़ जाता है।

Comments