चातुर्मास के नियम अपनाने से मिलती सुख-समृद्धि || Vaibhav Vyas


चातुर्मास के नियम अपनाने से मिलती सुख-समृद्धि 


चातुर्मास के नियम अपनाने से मिलती सुख-समृद्धि चातुर्मास का आरंभ आषाढ़ माह में  होता है। चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। चातुर्मास माह में सावन,भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक माह आते हैं। चातुर्मास का समय भगवान विष्णु का शयनकाल माना जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु शयन काल में चले जाते हैं और चार माह के बाद योग निद्रा से उठते हैं।  चातुर्मास की अवधि 4 महीने की होती है। इस साल अधिकमास होने से ये माह और बढ़ गया है। इस साल चातुर्मास 5 महीने का होगा। चातुर्मास में कुछ उपाय करने से सुख, समृद्धि और शांति आती है वहीं इन चार महीनों में कुछ काम ना करने की भी मनाही होती है। चातुर्मास से जुड़े नियमों को जानकार उसी अनुरूप काम किए जाएं तो सभी विघ्न बाधाएं दूर होकर श्री विष्णु हरि की कृपा बरसती है। चातुर्मास के दौरान न करें ये काम- चातुर्मास के दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। इन महीनों में शादी-विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण और उपनयन संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। यह अवधि श्राद्ध और पितृ तर्पण के लिए समर्पित होती है। चातुर्मास के दौरान में तामसिक भोजन करने की मनाही होती है। चातुर्मास के चौथे माह यानी कार्तिक मास में प्याज, लहसुन, दाल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। चातुर्मास में पडऩे वाले अश्विन मास में दूध से संबंधित चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। चातुर्मास भगवान की आराधना के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। चातुर्मास में किसी नए घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए और ना ही कोई नया घर लेना चाहिए। यह अवधि आध्यात्मिक तपस्या और नियमित पूजा-पाठ के लिए समर्पित होती है। इन महीनों में ज्यादा से ज्यादा समय आध्यात्मिक साधना में बिताना चाहिए। यह चार महीने पूरी तरह से भगवान की आराधना में समर्पित होते हैं इसलिए इस अवधि में वाणी पर बहुत नियंत्रण रखना चाहिए। अपने मुख से कोई भी ऐसी वाणी ना निकालें जिससे दूसरे का दिल दुखे। दूसरों की बुराई करने से भी बचें। चातुर्मास में पूजा-पाठ के समय वस्त्रों के रंगों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। नीले या फिर काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए। इन मास में हरा, लाल, पीले आदि रंग के वस्त्रों को पहनना शुभ माना जाता है। चातुर्मास में किसी भी तरह की यात्रा करने से बचना चाहिए। अगर बेहद जरूरी हो तो दिशा शूल के नियमों को ध्यान में रखकर ही घर से निकलें। घर से निकलने से पहले थोड़ी दही खाकर निकलना शुभ माना जाता है। चातुर्मास में भगवान सूर्य की आराधना करना बहुत शुभ माना जाता है। इन महीनों में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। चातुर्मास में कठिन व्रत करने से बचना चाहिए।

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