संकष्टी चतुर्थी व्रत से दूर होंगे संकट || Vaibhav Vyas


 संकष्टी चतुर्थी व्रत से दूर होंगे संकट

सनातन धर्म में गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है, इन्हें प्रथम पूजनीय की उपाधी दी गई है। शास्त्रों के अनुसार गणपति की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य पूरे नहीं होते। बुधवार और हर माह में गणेश जी की उपासना के लिए चतुर्थी का दिन उत्तम माना जाता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

आषाढ़ माह की कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत 7 जून 2023, बुधवार को रखा जाएगा। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा की पूजा एवं उनका दर्शन करते हैं।  चंद्रदर्शन के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधूरा माना जाता है।

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत 2023 मुहूर्त- पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी तिथि 07 जून 2023 को सुबह 12 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और इसी दिन रात को 09 बजकर 50 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा।

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत 2023 चंद्रोदय समय- पंचांग के अनुसार इस साल कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रोदय समय रात 10 बजकर 50 मिनट पर रहेगा।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर कार्य में सिद्धि प्राप्ति के लिए अचूक माना गया है। मान्यता यह है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी संतान संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। अपयश और बदनामी के योग कट जाते हैं। हर तरह के कार्यों की बाधा दूर होती है। धन तथा कर्ज संबंधी समस्याओं का समाधान होता है। इस दिन श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करने से घर खरीदने की इच्छाएं जल्द पूरी होती हैं।

इस दिन सवेरे जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत होकर सूर्य देव को अघ्र्य देने के पश्चात व्रत का संकल्प ले। फिर घर के ही पूजा स्थान में गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। गणेश जी को पहले शुद्ध जल से फिर पंचामृत से स्नान कराकर फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। गणेश जी को जनेऊ और वस्त्र पहनाकर चंदन से तिलक करे। फिर गणेश जी को दूर्वा और मोदक का प्रसाद भोग लगाएं। पूजा के पश्चात गणेश जी की आरती करें। फिर दिन के किसी भी समय गणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा का श्रवण-वाचन करना चाहिए जिससे व्रत का पूरा फल मिलने वाला रहता है।

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