देवशयनी एकादशी व्रत से होगी मनोकामनाएं पूर्ण || Vaibhav Vyas


 देवशयनी एकादशी व्रत से होगी मनोकामनाएं पूर्ण 

देवशयनी एकादशी व्रत से होगी मनोकामनाएं पूर्ण हर महीने में दो एकादशी होती हैं। आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी या हरिशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी से 4 महीनों के लिए भगवान नारायण योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं। इसके बाद देवउठनी एकादशी पर वो योग निद्रा से जागते हैं। इस चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है। हालांकि इस बार अधिक मास होने की वजह से चातुर्मास 4 नहीं, 5 महीनों का होगा। भगवान नारायण के योगनिद्रा में जाने की वजह से, इस बीच धरती के पालन का काम महादेव संभालते हैं। चातुर्मास के दौरान किसी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। जब देवउठनी एकादशी के दिन भगवान जागते हैं, तब शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इस बार देवशयनी एकादशी 29 जून को मनायी जाएगी। आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 29 जून की सुबह 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 30 जून को  02 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से एकादशी का व्रत 29 जून को रखा जाएगा। व्रत का पारण 30 जून को किया जाएगा। वैसे तो व्रत का पारण 30 जून को स्नान दान के बाद कभी भी किया जा सकता है, लेकिन पारण का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 48 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 36 मिनट तक है। पांच महीने का होगा चातुर्मास- हर साल देवशयनी से देवउठनी तक चार महीने का समय रहता है, जिसमें नारायण योग निद्रा में रहते हैं। इसीलिए इस समय को चातुर्मास कहा जाता है, लेकिन इस बार नारायण का शयनकाल 5 महीने का होगा। इस कारण चातुर्मास 5 महीने 29 जून से 23 नवंबर तक होगा। ये दुर्लभ संयोग अधिक मास होने के कारण पड़ा है। अधिक मास होने की वजह से इस बार सावन का महीना करीब दो महीने का होगा। सावन का महीना 4 जुलाई से लेकर 31 अगस्त तक चलेगा। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। देवशयनी एकादशी का महत्व- शास्त्रों में सभी एकादशियों को श्रेष्ठ व्रतों में से एक बताया गया है। इस व्रत को करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप से मुक्ति मिलती है। इसके पुण्य से जीवन के तमाम कष्ट दूर होते हैं। मनोकामना पूर्ति होती है और व्यक्ति मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर होता है। ऐसे करें नारायण का पूजन- देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। इस दिन पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें। व्रत का संकल्प लें. घर और मंदिर की साफ-साफाई करें। चौकी पर एक पीला कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करके विधि-विधान से पूजा करें। भगवान को फल, फूल और धूप आदि अर्पित करें। पूजन के दौरान भगवान के मंत्रों का जाप करें, देवशयनी एकादशी की कथा श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए। भगवान को पंचामृत का भोग लगाएं। एकादशी व्रत के सभी नियमों का पालन करें और अगले दिन स्नान और दान के बाद व्रत का पारण करें।

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