नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की पूजा से होती मनोकामनाएं पूर्ण || Vaibhav Vyas


 नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की पूजा से होती मनोकामनाएं पूर्ण

हिंदू धर्म शास्त्रों में कुल चार नवरात्रि का उल्लेख मिलता है। इसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं, जिसमें एक गुप्त नवरात्रि माघ और दूसरी आषाढ़ महीने में पड़ती है। इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से होकर इसका समापन 28 जून को होगा। इस साल 19 जून को प्रारंभ हो रही आषाढ़ गुप्त नवरात्रि वृद्धि योग में मनाई जाएगी। वृद्धि, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बढ़ोतरी, यानि इस योग में आप जो भी कार्य करेंगे, उसके फल में वृद्धि होगी।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि बेहद खास होती है। मान्यता है कि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान जो भक्त विधि-विधान और नियमों से व्रत रखता है और पूरे 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करता है, मां अंबे की कृपा से उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

महाविद्याओं की साधना- गुप्त नवरात्रि में 10 दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। दस महाविद्याएं मां दुर्गा का ही रूप हैं। ये दस महाविद्याएं मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर, मां भुनेश्वरी, मां छिन्नमस्तिके, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला हैं। गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है, जिसे बहुत ज्यादा कठिन माना जाता है। तंत्र विद्या में इन 10 महाविद्याओं का विशेष महत्व होता है। गुप्त नवरात्रि में 10 विद्याओं की साधना और उपासना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

शीघ्र विवाह के लिए करें उपाय- आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान अविवाहित कन्या मां दुर्गा को श्रृंगार का समान भेंट करें। इसके लिए स्नान ध्यान के पश्चात लाल रंग का वस्त्र धारण करें फिर भक्ति भाव से मां दुर्गा की पूजा पाठ करें और मां दुर्गा के मंदिर जाकर मां को श्रृंगार का समान भेंट करें। इस उपाय से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।

पूरे नौ दिन है गुप्त नवरात्रि- हर साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूरे 9 दिन की है. 9 दिन की नवरात्रि को शुभ माना जाता है।

गुप्त नवरात्रि के नौ दिन होने वाली मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है, इनमें से-

19 जून सोमवार- घटस्थापना या कलश स्थापना, मां शैलपुत्री पूजा

20 जून मंगलवार- ब्रह्मचारिणी पूजा

21 जून बुधवार- चन्द्रघण्टा पूजा

22 जून गुरुवार- कूष्माण्डा पूजा

23 जून शुक्रवार- स्कन्दमाता पूजा

24 जून शनिवार- कात्यायनी पूजा

25 जून रविवार- कालरात्रि पूजा

26 जून सोमवार- दुर्गाअष्टमी, महागौरी पूजा

27 जून मंगलवार- सिद्धिदात्री पूजा

28 जून बुधवार- नवरात्रि पारण।

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