जन्मकुंडली में बनने वाले कर्ज के योग || Vaibhav Vyas


 जन्मकुंडली में बनने वाले कर्ज के योग

जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के व्यक्तित्व और आर्थिक स्थितियों को दर्शाती है। वहीं कर्ज की स्थिति के लिए यदि किसी कुंडली में नीच का पाप ग्रह छठे भाव में हो और लग्नेश दुर्बल हो तो ऐसा व्यक्ति कर्ज का शिकार होता है। अगर मारकेश छठे भाव में सम्बन्ध बना रहा तो तो मुमकिन है कि बीमारी के लिए जातक कर्ज ले। यहां यह समझना बेहद जरूरी है कि सूत्र में पाप ग्रह नीच राशि में ही होना चाहिए। छठे भाव में सूर्य, मंगल और राहु जैसे ग्रह शुभ फल कारक माने गए हैं। ये व्यक्ति के शत्रु का नाश करते हैं लेकिन अगर ग्रह नीच है और पीडि़त है तो वो व्यक्ति को शुभ फल नहीं देता है।

छठे भाव में ग्रहण योग हो और धन, लाभ के स्वामी पीडि़त हो तो भी जातक कर्ज में जाता है। दरअसल राहु-सूर्य, सूर्य-मंगल, सूर्य-केतु जैसे पाप ग्रह अगर छठे भाव में युति करे तो वो उस भाव के शुभ फल में कमी करते है। उस स्थिति में ये आवश्यक हो जाता है कि धन और लाभ के स्वामी बलवान हो लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो जातक उन ग्रहों की दशा में अवश्य ही कर्जदार होगा।

छठे भाव का स्वामी खुद कमजोर हो और छठे भाव में शनि राहु, शनि मंगल या शनि केतु की युति हो तो भी यह योग बनता है। दरअसल छठे भाव को उपचय भाव यानी वृद्धि का भाव कहा गया है। अगर छठे भाव का स्वामी नीच होकर केंद्र में जाए तो भाव के शुभ फल में कमी हो। वहीं शनि मंगल या शनि राहु की युति इस भाव में मनुष्य के शत्रु द्वारा धन का नाश करवाती है। शनि मंगल की युति छठे भाव में कभी भी व्यक्ति को सफल नहीं होने देती।

गुरु अगर धन का स्वामी होकर राहु के साथ छठे भाव में हो और लग्नेश कमजोर हो तो भी व्यक्ति पीडि़त होता है। दरअसल गुरु जीव कारक ग्रह है और राहु के साथ युति होने पर वो गुरु चांडाल योग का निर्माण करता है। यह युति जिस भाव में होती है उसी भाव के शुभ फल में कमी आ जाती है। राहु छल का कारक है और छठा भाव शत्रु का, अगर गुरु धन का स्वामी होकर छठे में बैठे और राहु भी वही हो तो ऐसे व्यक्ति का धन छल कपट से लूट लिया जाता है और वो कर्ज में डूबता है।

जन्मकुंडली में अगर लग्नेश जाकर छठे भाव मे बैठे हो तो भी जातक कर्ज से परेशान रहता है। यदि मंगल और शनि का प्रभाव छठे स्थान पर हो तो भी जातक कर्ज से परेशान रह सकता है। यदि षष्ठेश लग्न में जाकर बैठे हो तो जातक के ऊपर कर्ज रह सकता है।

गणपति की उपासना से मिलती है कर्ज से मुक्ति- गणेश जी की सिंदूरी प्रतिमा स्थापित करें। उनके समक्ष घी का चौमुखी दीपक जलाएं।  उन्हें मोदक और सिन्दूर अर्पित करें। इसके बाद कम से कम 108 बार ऊँ गं मंत्र का जाप करें। ये प्रयोग हर बुधवार को करते रहने से कर्ज से मुक्ति के मार्ग प्रशस्त होने लगते हैं।

Comments