अमावस्या तिथि पितरों के निमित्त तर्पण करने के लिहाजा शुभ तिथि मानी गई है। इस दिन तीर्थ स्थलों पर पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करने से जीवन में चल रही जानी-अनजानी समस्याओं से छुटकारा तो मिलता ही है, साथ ही पितरों की आशीष भी मिलती है। शास्त्रों में इस तिथि को पौराणिक दृष्टि से बेहद खास माना गया है। इसके अलावा अमावस्या तिथि पर घर की नकारात्मकता को दूर करने के लिए कुछ उपायों को इस दिन कर लिया जाए तो नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मकता आने लगती है।
घर में हर अमावस्या अथवा हर 15 दिन में पानी में खड़ा नमक यानी करीब एक लीटर पानी में 50 ग्राम खड़ा नमक डालकर पोंछा लगाएं। इससे नकारात्मक ऊर्जा चली जाएगी अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं। कहते हैं कि अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है।
- अमावस्या के दिन मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।
- अमावस्या के दिन काली चींटियों को शक्कर मिला हुआ आटा जरूर खिलाएं।
- शाम के वक्त किसी जानकार पुरोहित को बुलाकर घर में हवन करवाएं।
- अमावस्या की तिथि प्रमुख रूप से पितरों को समर्पित होती है। इस दिन पितरों के निमित्त दान-पुण्य जरूर करें।
- अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा करें तथा पेड़ को जनेऊ व अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु के मंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें उसकी सात परिक्रमा करें।
- अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण के लिए तीर्थ स्थान जाना संभव नहीं हो तो घर पर ही पानी में गंगा जल मिलाकर पितरों का तर्पण करना चाहिए।
- अमावस्या पर पितरों के निमित्त तर्पण करने के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और यथासंभव दान-पुण्य देकर उनको संतुष्ट करना चाहिए। ऐसा करने से ब्राह्मणों का आशीर्वाद मिलता है और पितर संतुष्ट होते हैं।
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