प्रदोष व्रत से दो गायों को दान करने का पुण्य || Vaibhav Vyas


 प्रदोष व्रत से दो गायों को दान करने का पुण्य

पुराणों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान करने का पुण्य प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत में पूजा भी प्रदोष काल में किए जाने का विधान है।

प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है। एक महीने के कृष्ण और दूसरा महीने के शुक्ल पक्ष में आता है। कुछ लोग महीने में एक ही प्रदोष व्रत करते हैं तो कुछ लोगो दोनों ही व्रत रखते हैं। भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने वाला व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से निकल कर मोक्ष की प्राप्ति करता है। यह व्रत करने से उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत के दिन विधिपूर्वक शिव पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है।

प्रदोष व्रत की पूजन विधि-

प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले आप त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं। स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें। इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। पूरे दिन उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सफेद रंग का वस्त्र धारण करें।

अब स्वच्छ जल या गंगा जल से अपने पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। गाय के गोबर से मंडप तैयार कर लें। पांच अलग-अलग रंगों की मदद से मंडप में रंगोली बना लें। पूजा की सारी तैयारी करने के बाद उत्तर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं और भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करें। इसके बाद शिव को जल चढ़ाएं।

प्रदोष व्रत का महत्व-

प्रदोष व्रत करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है। सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष काल के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं, जो भी व्यक्ति यह व्रत करता है उसका कल्याण होता है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार के कष्ट मिट जाते हैं। यह व्रत हर संकट से छुटकारा दिलाता है। इस दिन जितना संभव हो सके उतना भोलेनाथ का स्मरण करना चाहिए और शिव जी के सिद्ध मंत्र ऊँ नम: शिवाय का निरन्तर जाप करते रहना चाहिए।

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