चतुर्थी व्रत से मिलती भगवान गणेश की कृपा || Vaibhav Vyas


 चतुर्थी व्रत से मिलती भगवान गणेश की कृपा

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि विनायक चतुर्थी कहलाती है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर गणपति बप्पा की पूजा रखने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। 6 मई से ज्येष्ठ माह की शुरुआत हो रही है और ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। 

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत 8 मई 2023 को शाम 6 बजकर 18 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 9 मई को शाम 4 बजकर 8 मिनट पर होगा। इस दिन शाम को चंद्रोदय के बाद पूजा की जाती है, इसलिए इस माह की संकष्टी चतुर्थी व्रत 8 मई को हो रखा जाएगा।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि- संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रात: काल उठकर स्नानादि करें और गणेश जी की पूजा करके व्रत का संकल्प लें। फिर शाम के समय पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें। भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं और मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। गणेश जी का तिलक करें व पुष्प अर्पित करें। इसके बाद भगवान गणेश को 21 दूर्वा की गांठ अर्पित करें। गणेश जी को घी के मोतीचूर के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व- हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूजनीय देवता माना गया है। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रख कर पूजा करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण हो जाती हैं।

संकष्टी चतुर्थी गणेश मंत्र-

गजाननं भूतगणादि सेवितं,

कपित्थजम्बूफलसार भक्षितम् ।

उमासुतं शोकविनाशकारणं,

नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम ।

गजाननं भूतगणादि सेवितं,

कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम् ।

उमासुतं शोकविनाशकारकं,

नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम ।

नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम ।

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