निर्जला एकादशी के दिन करें जल दान || Vaibhav Vyas


 निर्जला एकादशी के दिन करें जल दान

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस एकादशी में जल का खास महत्व माना गया है। इसे पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। कहते हैं कि इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशियों के व्रतों का फल मिलता है। इस दिन जल के मात्र 3 उपाय कर लेंगे तो विघ्न बाधाएं दूर होकर सुख-समृद्धि का वास होने लगेगा। निर्जला एकादशी के प्रात: जल्दी उठकर स्नान करते समय गंगा जल पानी में मिला लेना चाहिए, जिससे तीर्थों के समान स्नान का पुण्य प्राप्त होने वाला रहता है। अगर संभव हो तो इस दिन गंगा नदी या किसी संगम में स्नान करना विशेष पुण्य फलदायी माना गया है। साथ ही इस दिन जल के दान का विशेष महत्व रहने के कारण जलदान अपनी सामथ्र्य के अनुसार अवश्य करना चाहिए। निर्जला एकादशी के दिन पितरों के निमित्त जल तर्पण करना भी विशेष महत्व रखता है। इस दिन पितरों को जल पिलाने से उनकी आत्मा को तृप्ति मिलती है और पितर सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं, जिसके चलते जीवन में चलने वाली छोटी-मोटी समस्याओं का स्वत: ही निराकरण होता दिखाई देने लगता है।

निर्जला एकादशी के दिन बिना जल के करें उपवास- शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग कर देना चाहिए और अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके पारणा के समय जल ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जहां वर्ष की सभी एकादशियों का फल मिलता है, वहीं पूरे वर्ष शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।

इस दिन पीपल में जल अर्पित करें- यदि आप उपरोक्त उपाय नहीं कर सकते हैं तो इस दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करके उसकी विधिवत पूजा करें। ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।

जल का दान करें-  इस दिन जलदान करने का भी खासा महत्व है। इसलिए निर्जला एकादशी के दिन पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करना श्रेष्ठ माना गया है, जिससे श्री विष्णु हरि की कृपा मिलती है। जल से भरा कलश किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान करना चाहिए। आप चाहें तो राहगीरों के लिए पीने के पानी की प्याऊ लगवा सकते हैं या किसी मंदिर के समक्ष जल वितरण करवा सकते हैं। ऐसा करने से पितृदोष दूर होने के साथ ही चंद्रदोष भी दूर होता है।

Comments