गंगा दशहरा पर गंगा स्नान से दस प्रकार के पापों से मिलती मुक्ति || Vaibhav Vyas


 गंगा दशहरा पर गंगा स्नान से दस प्रकार के पापों से मिलती मुक्ति

गंगा दशहरा पर्व 30 मई, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन ही धरती पर मां गंगा का अवतरण हुआ था। इस विशेष दिन पर मां गंगा की उपासना करने से और स्नान-दान करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। यदि पवित्र नदी में स्नान नही कर सकते तो बाल्टी में गंगा जल डाल कर स्नान करने से लाभ मिलता है। गंगा दशहरे के दिन गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।

गंगा दशहरा की सुबह 4 बजकर 28 मिनट हस्त नक्षत्र शुरू होगा। जिसका अंत 31 मई को सुबह 5 बजकर 58 मिनट पर होगा। वहीं 30 मई रात को 8 बजकर 54 मिनट बजे व्यतिपात योग शुरू होगा। जो 31 मई की रात को 8 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इसी के साथ ही 31 मई को पूरे दिन रवि योग भी रहेगा। इन योगों में पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई को सुबह 11 बजकर 49 मिनट फिर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 30 मई को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर होगा।

गंगा दशहरे पर दस की संख्या में करे दान- गंगा दशहरे के दिन श्रद्धालु जन जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में और अधिक वृद्धि होती है। गंगा दशहरे का फल ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के दस प्रकार के पापों का नाश होता है। इन दस पापों में तीन पाप कायिक, चार पाप वाचिक और तीन पाप मानसिक होते हैं। इन सभी से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।

इसी प्रकार परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से सवा सेर चूरमा बनाकर साधुओं, फ़कीरों और ब्राह्मणों में बांटने का भी प्रचलन है। ब्राह्मणों को बड़ी मात्रा में अनाज को दान के रूप में दिया जाता है। इसी दिन आम खाने और आम दान करने को भी विशिष्ट महत्त्व दिया जाता है।

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