नाड़ी दोष के प्रभाव बिगाड़ सकते हैं दांपत्य जीवन की स्थिति || Vaibhav Vyas


 नाड़ी दोष के प्रभाव बिगाड़ सकते हैं दांपत्य जीवन की स्थिति

शादी के समय  रीति-रिवाजों का ध्यान रखा जाता है। भारतीय ज्योतिष के हिसाब से कुंडली मिलान करते समय ग्रह-नक्षत्रों सहित बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है। इन्हीं में एक है नाड़ी। गुण मिलाने की प्रक्रिया में लड़के और लड़की की कुंडली में अष्टकूट मिलान भी किया जाता है। ये अष्टकूट होते हैं- वश्य, वर्ण, तारा, योनी, ग्रह मैत्री, गण, भकूट, नाड़ी।

कैसे जाने नाड़ी की स्थिति-

ज्योतिष के अनुसार, नाड़ी तीन प्रकार की होती है। आदि नाड़ी, मध्य नाड़ी और अन्त्य नाड़ी। हमारी कुंडली में जन्म के समय के आधार पर चंद्रमा किसी खास नक्षत्र में उपस्थित होता है। चंद्रमा की स्थिति देखकर ही व्यक्ति की नाड़ी का पता किया जाता है। कुल 27 नक्षत्रों में से चंद्रमा किन्हीं 9 नक्षत्रों में स्थित होता है।

नाड़ी दोष का प्रभाव-

 शादी के समय भावी वर और वधू की कुंडली अवश्य मिलानी चाहिए। साथ ही नाड़ी दोष न होने पर ही रिश्ते को विवाह में तब्दील करना चाहिए। नाड़ी न मिलने पर कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

अगर वर और वधू की नाड़ी आदि हो और उनका विवाह कर दिया जाता है तो ऐसा वैवाहिक संबंध लंबे समय तक नहीं चलता है और किसी न किसी कारण विवाह विच्छेद हो जाता है।

अगर वर और वधू की कुंडली में मध्य नाड़ी हो और उनका विवाह कर दिया जाता है तो किसी घटनाक्रम या हादसे में दोनों की मृत्यु होने की आशंका रहती है।

अगर वर और वधू की कुंडली में नाड़ी अन्त्य हो और उनका विवाह कर दिया जाता है तो जीवनभर उनके बीच मानसिक तनाव और कलह रहती है। कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है।

इन स्थितियों में नहीं लगता नाड़ी दोष-

यदि स्त्री और पुरुष की कुंडली में जन्म नक्षत्र समान हों लेकिन उनके चरण अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं लगता है।

स्त्री और पुरुष का जन्म नक्षत्र एक हो लेकिन राशियां अलग-अलग हों तब भी नाड़ी दोष नहीं लगता है।

स्त्री और पुरुष की राशि एक ही हो लेकिन जन्म नक्षत्र अलग-अलग हों, तब भी नाड़ी दोष नहीं लगता है।

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