वास्तु शास्त्र सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा पर आधारित होता है। वास्तु में घर की हर दिशा और कक्ष का विशेष स्थान होता है। घर में कौन सी चीज किस दिशा में रखनी चाहिए, इसका वर्णन भी वास्तु शास्त्र में किया गया है। यहां तक कि घर के पूजा घर में इससे जुड़े भी वास्तु के कुछ नियम हैं। इन नियमों की पालना मात्र से ही सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है और छोटी मोटी समस्याओं का समाधान भी मिलने लगता है। वास्तु के अनुसार पूजा घर में जल रखना जरूरी होता है।
पूजा घर में क्यों रखना चाहिए पानी- हर घर में एक पूजा घर जरूर होता है। पूजन सामग्री के अलावा यहां शंख, गरुड़ घंटी, कौड़ी, चंदन बट्टी, तांबे का सिक्का, आचमन पात्री, गंगाजल और पानी का लोटा रखा जाता है। कई घरों में लोटे की जगह जल कलश रखते हैं। पूजा से पहले जल से भगवान की मूर्ति को स्नान कराने के बाद पूजा के स्थान पर जल छिड़ककर उसे पवित्र करते हैं, इसीलिए पूजा स्थल पर एक लोटे में जल रखा जाता है।
माना जाता है कि जिस तरह गुरुड़ देव की स्थापना गरुड़ घंटी के रूप में की जाती है ठीक उसी तरह वरुण देव की स्थापना जल के रूप में की जाती है। मान्यताओं के अनुसरा कि जल की पूजा वरुण देव के रूप में होती है और वही दुनिया की रक्षा करते हैं। पूजा घर में जल में तुलसी के कुछ पत्ते डाल कर रखने से वह जल पवित्र हो जाता है। पवित्र होने के साथ ही यह जल आचमन योग बन जाता है। इस जल से पूजा स्थल को शुद्ध करने पर देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
पूजा घर में कैसे करें जल की स्थापना- पूजा घर या उत्तर और ईशान कोण में हो तो यहां जल की स्थापना जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पूजा के स्थान पर तांबे के बर्तन में जल भर कर रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार पूजा घर में जल रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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