ज्येष्ठ अमावस्या पर वट सावित्री व्रत और शनि जयंती || Vaibhav Vyas


 ज्येष्ठ अमावस्या पर वट सावित्री व्रत और शनि जयंती

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ के पवित्र महीने में व्रत, त्योहार और तिथियों का विशेष महत्व है। वहीं ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन ज्येष्ठ अमावस्या व्रत रखा जाएगा। इस दिन दो अन्य प्रमुख त्योहार भी मनाए जाएंगे, जिस वजह से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती मनाया जाएगा। इस विशेष दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं और उपवास रखती हैं। साथ ही इस विशेष दिन पर शनि देव, भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना करने से सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

ज्येष्ठ अमावस्या 2023 तिथि- हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई को रात्रि 09 बजकर 42 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन 19 मई को रात्रि 09 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा।

ज्येष्ठ अमावस्या 2023 शुभ मुहूर्त- वैदिक पंचांग में बताया गया है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शोभन योग का निर्माण हो रहा है जो 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इसके साथ स्नान मुहूर्त सुबह 05 बजे से सुबह 05 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। वहीं वट सावित्री व्रत पूजा सुबह 05 बजकर 43 मिनट से सुबह 08 बजकर 58 मिनट के बीच की जाएगी। साथ ही शनि देव की पूजा शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात्रि 07 बजकर 03 मिनट के बीच करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।

ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व- शास्त्रों में बताया गया है कि ज्येष्ठ मास में स्नान-दान का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर पितरों को तर्पण प्रदान करने से उनकी आत्मा तृप्त हो जाती है। साथ ही इस दिन जल का दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। इस विशेष दिन पर शनि देव की उपासना करने से शनि दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

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