वैशाख मास में पूजा-आराधना से होती मनोकामनाएं पूर्ण || Vaibhav Vyas


 वैशाख मास में पूजा-आराधना से होती मनोकामनाएं पूर्ण

स्कंद पुराण के अनुसार वैशाख मास को ब्रह्मा जी ने सब मासों में श्रेष्ठ बताया है, बिल्कुल ऐसे ही जैसे सतयुग के समान कोई दूसरा युग नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं, गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं उसी भांति वैशाख मास के समान कोई महीना नहीं है। स्कंद पुराण में वैशाख माह को पुण्यार्जन मास की संज्ञा देते हुए माधव मास कहा गया है।

आध्यात्मिक महत्व- यह मास माता की भांति सब जीवों को सदा अभीष्ट वस्तु प्रदान करने वाला है। संपूर्ण देवताओं द्वारा पूजित धर्म, यज्ञ, क्रिया और तपस्या का सार है। जैसे विद्याओं में वेद विद्या, मंत्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्पवृक्ष, धेनुओं में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, वर्णों में ब्राह्मण, प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगाजी, तेजों में सूर्य, अस्त्र-शास्त्रों में चक्र, धातुओं में सुवर्ण, वैष्णवों में शिव तथा रत्नों में कौस्तुभमणि है, उसी प्रकार धर्म के साधन भूत महीनों में वैशाख मास सबसे उत्तम है। वैशाख के महीने में भगवान विष्णु की आज्ञा से जनकल्याण हेतु जल में समस्त देवी-देवता निवास करते हैं।

वैशाख मास में श्रीहरि की पूजा महत्व- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास, भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है। इस मास में स्नान-दान, जाप और तप करने से साधकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इस महीने में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए। इस महीने में जप, तप, दान करना बहुत फलदाई माना गया है। वैशाख मास के देवता भगवान मधुसूदन हैं। वैशाख स्नान करने वाले साधक को यह संकल्प लेना चाहिए-हे मधुसूदन! हे देवेश्वर माधव! मैं मेष राशि में सूर्य के स्थित होने पर वैशाख मास में प्रात: स्नान करूँगा, आप इसे निर्विघ्न पूर्ण कीजिए।

यह महीना संयम, अहिंसा, आध्यात्म, स्वाध्याय और जनसेवा का महीना है। अत: सेवा किसी भी रूप में हो अधिक से अधिक करनी चाहिए। धूम्रपान, मांसाहार, मदिरापान एवं परनिंदा जैसी बुराईयों से बचना चाहिए। भगवान विष्णु की सेवा तथा उनके सगुण या निर्गुण स्वरूप का अनन्य चित्त से ध्यान करना चाहिए।

जल दान का महत्व- वैशाख के पावन महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने या गलंतिका बंधन करने का (जल से भरी हुई मटकी लटकाना) विशेष पुण्य बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार इस माह में प्याऊ लगाना, छायादार वृक्ष की रक्षा करना, पशु-पक्षियों के लिए चुग्गे की व्यवस्था करना, राहगीरों को जल पिलाना जैसे सत्कर्म मनुष्य के जीवन को समृद्धि के पथ पर ले जाते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार इस माह में जल दान का सर्वाधिक महत्व है अर्थात अनेकों तीर्थ करने से जो फल प्राप्त होता है वह केवल वैशाख मास में जलदान करने से प्राप्त हो जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, वैशाख के महीने में पाप कर्मों से मुक्ति पाने के लिए स्नान-दान का महत्व बताया गया है। इसके अलावा धर्म-कर्म के लिहाज से भी यह माह बहुत ही श्रेष्ठ और उत्तम माना गया है। ऐसी मान्यता है कि वैशाख के महीने में भगवान विष्णु के साथ ही भगवान शिव और ब्रह्मा जी यानी त्रिदेव की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और व्यक्ति को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। वैशाख मास में नियम और अनुशासन का भी विशेष महत्व बताया गया है।

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