वैशाख पूर्णिमा व्रत से कष्टों का निवारण || Vaibhav Vyas


 वैशाख पूर्णिमा व्रत से कष्टों का निवारण

हिन्दू माह के अंतिम दिवस पर पूर्णिमा पड़ती है। वैशाख माह की पूर्णिमा का शास्त्रों में बड़ा ही महत्व बताया गया है। माना जाता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन अगर व्रत रखा जाए और उसका पालन पूर्ण श्रद्धा से किया जाए तो जीवन के सभी कष्टों का निवारण हो जाता है और भगवान विष्णु के साथ साथ यमराज भी प्रसन्न होकर मृत्यु से निडरता का वरदान देते हैं। वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महात्म्य और अधिक बढ़ जाता है, इस दिन गंगा स्नान के पश्चात वहां दान-पुण्य की स्थितियों के साथ व्रत रखा जाए तो और अधिक शुभ फलों की प्राप्ति मानी गई है।

वैशाख पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य किये जाते हैं। इसे सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु के तेइसवें अवतार महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं और इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

वैशाख पूर्णिमा व्रत और धार्मिक कर्म- वैशाख पूर्णिमा पर व्रत और पुण्य कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि अन्य पूर्णिमा व्रत के सामान ही है लेकिन इस दिन किये जाने वाले कुछ धार्मिक कर्मकांड इस प्रकार हैं-

- वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रात: काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए। यदि यह संभव नहीं हो तो स्नान करते समय जल में गंगा जल का मिश्रण कर लेना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अघ्र्य देना चाहिए।

- स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

- इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल मिलता है।

- 5 या 7 जरुरतमंद व्यक्तियों और ब्राह्मणों को शक्कर के साथ तिल देने से पापों का क्षय होता है।

- इस दिन तिल के तेल के दीपक जलाएँ और तिलों का तर्पण विशेष रूप से करें।

- इस दिन व्रत के दौरान एक समय भोजन करें।

- इस दिन यथासंभव जल दान, छाता दान, प्याऊ लगवाना, पक्षियों के लिए चुग्गे-पानी की व्यवस्था करना और गायों को हरी घास खिलाना पुण्य फलों में बढ़ोतरी करने वाला माना गया है।

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