वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा फलदायी || Vaibhav Vyas


 वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा फलदायी

हिंदू धर्म में इस पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। बौद्ध धर्म की मान्यता के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन ही महात्मा बुद्ध, जिन्हें भगवान विष्णु का नौवां अवतार कहा जाता है, का जन्म हुआ था। इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इन सभी खास संयोगों के कारण पडऩे वाली वैशाख पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ गया है। इसके अलावा, वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है। इस कारण इस पूर्णिमा को पीपल की पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं।

वैशाख पूर्णिमा को क्यों कहा जाता है पीपल पूर्णिमा? इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा मानी जाती है फलदायी।

1. शास्त्रों के अनुसार पीपल पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी विराजमान होती हैं। ऐसे में इस दिन सुबह-सुबह पीपल के वृक्ष की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

2. पीपल पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से ग्रह और पितृ दोष से मुक्ति मिलने की भी मान्यता है।

3. हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को बहुत पूजनीय माना जाता है। साथ ही मान्यता है कि पीपल के पेड़ में तीनों देवताओं का वास होता है और वैशाख पूर्णिमा के खास दिन पर पीपल से जुड़े उपाय तथा पूजा-पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

4. मांगलिक कार्यों को करने की दृष्टि से भी यह दिन बहुत महत्व रखता है। इस दिन शुभ मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि पीपल की पूजा की बाद सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।

वैशाख माह की कथा- पुराणों के अनुसार वैशाख के महीने में भगवान विष्णु की आज्ञा से जनकल्याण हेतु जल में समस्त देवी-देवता निवास करते हैं। एक प्रसंग के अनुसार जब एक बार राजा अंबरीश दीर्घकाल तक तप के बाद गंगा तीर्थ की ओर जा रहे थे। मार्ग में उन्हें देवर्षि नारद जी के दर्शन हुए। विनयपूर्वक राजा ने देवर्षि से प्रश्न किया-देवर्षि! ईश्वर ने प्रत्येक वस्तु में किसी श्रेष्ठ कोटी की रचना की है, लेकिन मासों में कौनसा मास सर्वश्रेष्ठ है? इस पर नारद जी ने कहा- जब समय विभाजन हो रहा था उस समय ब्रह्मा जी ने वैशाख मास को अत्यंत पवित्र सिद्ध किया है। वैशाख मास सब प्राणियों की मनोकामना को सिद्ध करता है। धर्म, यज्ञ, क्रिया और व्यवस्था का सार वैशाख मास में है। संपूर्ण देवताओं द्वारा पूजित एवं भगवान विष्णु को सर्वाधिक प्रिय है।

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