संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा से संकट दूर होते हैं || Vaibhav Vyas


 संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा से संकट दूर होते हैं

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत है। इस दिन सुबह से ही भद्रा लग रही है, हालांकि सिद्धि योग में विशाखा और अनुराधा नक्षत्र हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और रात के समय में चंद्रमा का पूजन होता है। चंद्रमा की पूजा के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरा नहीं होता है। हालांकि इस दिन व्रती को चंद्रमा को देखने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना होता है क्योंकि कृष्ण पक्ष का चंद्रमा देर से उदित होता है।

पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अप्रैल दिन रविवार को सुबह 09 बजकर 35 मिनट तक है, उसके बाद इस तिथि का समापन अगले दिन 10 अप्रैल सोमवार को सुबह 08 बजकर 37 मिनट पर होगा। संकष्टी चतुर्थी के लिए चंद्रमा का उदय चतुर्थी तिथि में होना आवश्यक है, इस आधार पर विकट संकष्टी चतुर्थी का चंद्रोदय 9 अप्रैल को हो रहा है, इसलिए विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 9 अप्रैल को रखा जाएगा।

संकष्टी चतुर्थी के दिन भद्रा

संकष्टी चतुर्थी वाले दिन भद्रा का साया है। इस दिन भद्रा सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 09 बजकर 35 मिनट तक है। इसमें भी प्रारंभ से लेकर सुबह 08 बजकर 02 मिनट तक भद्रा का वास पाताल लोक में है, यानि पृथ्वी पर भद्रा होगी। उसके बाद भद्रा स्वर्ग लोक में सुबह 08.02 बजे से सुबह 09.35 बजे तक है।

9 अप्रैल को संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन गणेश पूजा का लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 09.13 से 10.48 बजे तक है, वहीं अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 10.48 से दोपहर 12.23 बजे तक है। ऐसे में आप इन दो शुभ मुहूर्त में चतुर्थी की गणेश पूजा कर सकते हैं। विकट संकष्टी चतुर्थी को सिद्धि योग प्रात:काल से लेकर रात 10 बजकर 14 मिनट तक है। इस दिन विशाखा नक्षत्र दोपहर 2 बजे तक है, उसके बाद से अनुराधा नक्षत्र है। ये सभी शुभ माने जाते हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत वाले दिन चंद्रमा का उदय देर रात 10 बजकर 02 मिनट पर होगा। इस समय चंद्रमा को अघ्र्य दे सकते हैं और उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा कर सकते हैं।

विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा और महत्व- प्रात:स्नान के बाद शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा करें। सिंदूर, दूर्वा और मोदक अवश्य अर्पित करें। पूजा के समय संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा सुनें। घी के दीपक से आरती करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और संकट दूर होता है।

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