मुंडन संस्कार विधि || Vaibhav Vyas


 मुंडन संस्कार विधि

मुंडन संस्कार  क्या है-यह हिन्दू धर्म के संस्कारों में से एक है जिसमे पहली बार नवजात के सिर के बाल उतारे जाते हैं। यह कार्य जन्म से एक वर्ष या तीन वर्ष बाद या परिवार की परंपरा के आधार पर और बाद में हो सकता है। कई लोगों का मानना है की - केश, श्मश्रु एवं नखों के काटने एवं प्रसाधन से पौष्टिकता, बल, आयुष्य, शुचिता और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। इस संस्कार के पीछे स्वास्थ्य एवं सौंदर्य की भावना ही प्रमुख थी। पहले यह घर पर होता था, लेकिन बाद में देवालयों में होने लगा था।

मुंडन संस्कार सामग्री-

यदि आप अपने बच्चे का मुंडन संस्कार करा रहे है, तो आपको सबसे पहले ये जरूरी सामग्री अपने पास रख लेनी है। गाय का शुद्ध घी। फूल और माला। फल फ्रूट्स और मिठाई। पंचामृत। पूजा के लिए पीला व लाल रंग का कोरा कपडा। आवश्यकता अनुसार बर्तन (जैसे दिया, कलश, थाली, चम्मच)।

मुंडन संस्कार विधि-

सबसे पहले तो आपको बता दे की मुहूर्त देखकर मुंडन संस्कार किया जाता है। आमतौर पर इसे किसी धार्मिक तीर्थ स्थल पर करते हैं। धार्मिक तीर्थ स्थल पर मुंडन कराने की परंपरा इसलिए है, ताकि बच्चे को धार्मिक स्थल के वातावरण का लाभ मिल सके। इसका शुभ मुहूर्त लोग बच्चे के जन्म और समय के आधार पर पंडित से निकलवाते हैं।

मुंडन संस्कार से पहले पंडित हवन पूजन करते हैं। फिर मां बच्चे को अपनी गोद में लेकर उसका मुंह पश्चिम दिशा में अग्नि की तरफ रखती है, इसके बाद नाई उस्तरे की मदद से बच्चे का मुंडन करते है। इसके बाद, गंगाजल से बच्चे का सिर धोया जाता है।

जब मुंडन पूरा हो जाता है तब बच्चे के सर पर हल्दी चन्दन का लेप लगाया जाता है। इससे यदि बच्चे के सर में कोई कट लग जाये तो हल्दी चन्दन का लेप उसे जल्दी ठीक कर देता है।

एक जरूरी बात यह है की हिन्दू धर्म की कुछ परम्पराओं में मुंडन के दौरान एक चोटी छोड़ दी जाती है। इसके पीछे मान्यता है की चोटी मस्तिष्क को सुरक्षा देती है।

मुंडन संस्कार मंत्र-

अगर आप भी अपने बच्चे का मुंडन करा रहे है तो आपको ऊँ यत क्षुरेण मज्जयता सुपेशसा, वप्ता वपति केशान।  येनावपत सविता क्षुरेण, सोमस्य राज्ञो वरुणस्य विद्वान् मंत्र का उच्चारण करना जरूरी है।

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