नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की आराधना || Vaibhav Vyas


 नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, क्योंकि उन्हें देवी पार्वती का अविवाहित रूप माना जाता है। ब्रह्मचारिणी संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- ब्रह्म, पूर्ण वास्तविकता, सर्वोच्च चेतना और चारिणी का अर्थ चार्य का स्त्री संस्करण, जिसका अर्थ है व्यवहार या आचरण करने वाली।

22 मार्च 2023 से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहे है और नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा के बाद दूसरे दिन दुर्गा मां का दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, उन्हें भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती का अविवाहित अवतार माना जाता है। मान्यताओं में कहा गया है कि देवी की भगवान महादेव से विवाह करने की इच्छा थी, जिसके लिए उन्होंने हजारों वर्षों तक घोर तपस्या की, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अंतत: भगवान शिव की पत्नी बनने का अवसर मिला। यही कारण है कि देवी ब्रह्मचारिणी को शक्ति और सच्चे प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का दिन- हिंदू धर्म के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा शुभ मुहुर्त में करना जातक के लिए फलदायी होता है। साथ ही चैत्र नवरात्रि का दूसरा नवरात्रि 23 मार्च 2023, गुरुवार को मनाया जाएगा। नवरात्रि के दूसरे दिन यानी चैत्र शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को माता ब्रह्मचारिणी  की पूजा की जाएगी।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि-

नवरात्रि के दूसरे दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करना चाहिए। 

इसके बाद मांं ब्रह्मचारिणी की तस्वीर या मूर्ति को चौकी में रखकर गंगाजल छिड़कें।

उसके बाद आप देवी को वस्त्र, पुष्प, फल, आदि अर्पित करें। 

देवी की पूजा में विशेष रूप से सिन्दूर और लाल पुष्प जरूर अर्पित करें।

मान्यता के अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा में केसर की खीर, हलवा या फिर चीनी का भोग लगाने पर शीघ्र ही देवी की कृपा प्राप्त होती है और साधक को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।

देवी ब्रह्मचारिणी को दूध से बनी मिठाई और अन्य दुग्ध पदार्थ अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए नवरात्रि के दूसरे दिन माता को दूध और दुग्ध उत्पादों का भोग लगाना विशेष रूप से शुभ होता है। आप चाहें तो इस दिन मिश्री, शक्कर और पंचामृत का भोग लगा सकते हैं।

इसके अलावा आप देवी को सिंघारे की खीर या हलवा या कच्चे केले की बर्फी का भी भोग लगा सकते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मिलते हैं ये लाभ- सभी नौ ग्रहों में से मंगल और बुध ग्रह पर माता का शासन होता है। कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी कुंडली के पहले और आठवें भाव में मंगल के कारण होने वाली किसी भी तरह की समस्याओं को दूर करने की शक्ति रखती हैं। साथ ही वह अपने भक्तों को कभी न खत्म होने वाला साहस, दृढ़ संकल्प और नकारात्मकता और दुखों से लडऩे की अपार शक्ति देती हैं। मां ब्रह्मचारिणी की सही तरीके से पूजा करने से व्यक्ति की सहनशीलता बढ़ती है और उन्हें अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलकर सभी प्रकार की परिस्थितियों में विजयी होने की शक्ति भी मिलती है।

इसके अलावा, माता बुध ग्रह पर भी शासन करती हैं, इसलिए उनकी पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान, पराक्रम, बुद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। जो छात्र किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या जो लोग इंटरव्यू की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें भी सफलता के लिए माता ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद लेना चाहिए।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से चिकित्सा पेशे में सफलता का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, जो लोग मानसिक परेशानी से ग्रस्त हैं उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विशेष फलदायी साबित होती है।

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