प्रदोष व्रत से मिलती सुख-समृद्धि || Vaibhav Vyas


 प्रदोष व्रत से मिलती सुख-समृद्धि

प्रदोष व्रत व प्रदोषम व्रत एक प्रसिद्ध हिन्दू व्रत है जो कि भगवान शिव का आर्शीवाद पाने के लिए किया जाता है। प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने में दो बार आता है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में। यह व्रत दोनों पक्षों के त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। प्रदोष व्रत अगर सोमबार के दिन आता है तो उसे सोम प्रदोषम कहा जाता है। मंगलवार के दिन आता है तो उसे भूमा प्रदोषम कहा जाता है और शनिवार के दिन आता है तो उसे शनि प्रदोषम कहा जाता है। यह व्रत सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है।

हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव की पूजा सबसे सरल और शीघ्र फलदायी मानी गई है। औढरदानी कहलाने वाले भगवान शिव बहुत ही भोले माने जाते हैं जो सिर्फ जल और पत्ते चढ़ाने मात्र से ही मनचाहा वरदान दे देते हैं। मान्यता है कि प्रदोष तिथि और प्रदोष काल में यदि कोई भक्त भगवान शिव की साधना करता है तो उसके जीवन से सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते हैं और उसे जीवन से जुड़े सभी सुख और सौभाग्य प्राप्त होते हैं।

मार्च महीने का दूसरा प्रदोष व्रत- पंचांग के अनुसार मार्च महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 19 तारीख को रविवार के दिन पड़ेगा। हिंदू धर्म में रविवार के दिन पडऩे वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर शिव संग सूर्य देवता की कृपा बरसती है। पंचांग के अनुसार भगवान शिव के लिए शुभ मानी जाने वाली त्रयोदशी तिथि 19 मार्च 2023 को प्रात:काल 08.07 बजे से प्रारंभ होकर 20 मार्च 2023 को प्रात:काल 04.55 बजे तक रहेगी। पंचांग के अनुसार महादेव की साधना के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाने वाला प्रदोष काल 19 मार्च 2023 को सायंकाल 06.31 से रात्रि 08.54 बजे तक रहेगा।

प्रदोष व्रत में करें शिव पूजा का महाउपाय- यदि आप चाहते हैं कि आपको प्रदोष व्रत का पूरा फल मिले और आपके जीवन से जुड़े सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाएं तो आपको प्रदोष व्रत वाले दिन भगवान शिव की प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करते हुए महादेव को मनाने का महाउपाय भी करना चाहिए। मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति शिव की पूजा में उनकी प्रिय चीजें जैसे रुद्राक्ष, शमी पत्र, बेलपत्र, भस्म, गंगाजल और भांग चढ़ाता है तो उस पर शीघ्र ही भोलेनाथ की कृपा बरसती है। शिव की पूजा में इन चीजों को चढ़ाने के साथ शिव साधक को रुद्राक्ष की माला से शिव के पंचाक्षरी मंत्र का कम से कम एक माला जप जरूर करना चाहिए।

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