मां कात्यायनी की पूजा से होती मनोकामनाएं पूर्ण || Vaibhav Vyas


 मां कात्यायनी की पूजा से होती मनोकामनाएं पूर्ण

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। देवी कात्यायनी को युद्ध की देवी, महिषासुर मर्दनी और पार्वती का स्वप भी कहा जाता है। वैसे तो देवी के सभी रूप बहुत मनमोहक होते हैं, लेकिन माता का कात्यायनी रूप करुणामयी बताया गया है। जो भी भक्त सच्चे मन से माता कात्यायनी की पूजा करता है, माता उस जातक की सभी मनोकामनाओं को अवश्य पूरा करती हैं। माता कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी जाती हैं और शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयास करने वाले भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए।

चैत्र नवरात्रि का छठा दिन: मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त- नवरात्रि के छठे दिन यानी षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी का पूजन किया जाएगा। साथ ही चैत्र नवरात्रि 2023 षष्ठी तिथि को कात्यायनी माता की पूजा 27 मार्च, 2023, सोमवार को की जायेगी। शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि से माता की पूजा करने से उचित फल की प्राप्ति होती है।

माना जाता है कि जातक को माता कात्यायनी का पूजन करने से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है। इसके लिए जातक को माता कात्यायनी की पंचोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए, तभी जातक को अपने प्रयासों में सफलता मिल सकती है।

नवरात्रि के छठे दिन आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।

सबसे पहले माता कात्यायनी की पूजा से पहले कलश देवता अर्थात भगवान गणेश का विधिवत तरीके से पूजन जरूर करें।

इसके बाद आपको भगवान गणेश को फूल, अक्षत, रोली, चंदन, अर्पित कर उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत व मधु से स्नान कराएं और देवी को अर्पित किये जाने वाले प्रसाद को सबसे पहले भगवान गणेश को भोग लगाएं। 

प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें। 

इसके बाद कलश का पूजन करने के बाद नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता की पूजा भी करनी चाहिए

इन सबकी पूजा-अर्चना करने के पश्चात ही मां कात्यायनी का पूजन शुरू करना चाहिए।

इनकी पूजा के लिए सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर माता कात्यायनी का ध्यान करें।

इसके बाद माता का पंचोपचार पूजन करके उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करना चाहिए।

आगे, उनके समक्ष घी अथवा कपूर जलाकर माता कात्यायनी की आरती करें।

अंत में, मां के मंत्रों का उच्चारण करते हुए उनसे अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना जरूर करें।

मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के छठे दिन देवी की पूजा करने और इस दिन व्रत रखने से यदि किसी जातक के विवाह में कोई परेशानी आ रही हो, तो वह दूर हो जाती है और देवी के आशीर्वाद से उसे सुयोग वर या वधू की प्राप्ति होती है। कात्यायनी देवी का व्रत करने से जातक को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और कार्य में आ रही सभी परेशानी भी दूर होती है। इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि मां दुर्गा के छठे रूप यानी कात्यायनी देवी की पूजा करने से राहु ग्रह की वजह से हो समस्याएं व कालसर्प जैसे बड़े-बड़े दोष भी दूर होते हैं। साथ ही जो भी जातक माता की सच्चे मन से पूजा करता है, उसे त्वचा रोग, मस्तिष्क से जुड़ी परेशानियां इत्यादि जैसे बड़े रोग नहीं होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं और देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव भी कम हो जाते हैं।

Comments