विजया एकादशी का व्रत 16 फरवरी 2023 गुरुवार को रखा जाएगा। विजया एकादशी से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है, ऐसे में गुरुवार के दिन पडऩे वाली एकादशी वाले व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल विजया एकादशी का व्रत 16 फरवरी 2023 गुरुवार को रखा जाएगा। अपने नाम स्वरूप विजया एकादशी का व्रत रखने से साधक को शत्रु पर विजय प्राप्त करने का वरदान मिलता है। एकादशी का जन्म श्रीहरि के शरीर से हुआ है, यही वजह है कि साल में आने वाले सभी व्रतों में एकादशी व्रत सर्वश्रेष्ठ और उत्तम फलदायी माना गया है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी तिथि को 16 फरवरी 2023 को सुबह 05 बजकर 32 बजे से होगा। अगले दिन 17 फरवरी 2023 को सुबह 02 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
विजया एकादशी महत्व- साल में आने वाली हर एकादशी व्रत का जातक को पुण्य फल भी अलग-अलग मिलता है। विजया एकदाशी व्रत के परिणाम स्वरूप साधक को शत्रुओं पर विजय पाने का आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम ने भी रावण को परास्त करने और युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए विजया एकादशी व्रत रखा था। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन विष्णु जी की पूजा करता है और सच्चे मन से व्रत रखता है उसके सभी कार्य पूरे होते हैं। साथ ही वह अपने दुश्मनों पर भी विजय हासिल कर सकता है।
विजया एकादशी का व्रत दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है। एकादशी से एक दिन पहले सात्विक आहार ही ग्रहण करें। विजया एकादशी पर स्नान के बाद पूरे दिन फलाहार व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन श्रीहरि की भक्ति करें। रात्रि में जागरण कर विष्णु जी के मंत्रों का जाप, भजन आदि करें. फिर अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। इस दिन अपने आचरण पर नियंत्रण रखें, क्रोध से बचें और घर में किसी ने भी एकादशी का व्रत किया है तो बाकी अन्य सदस्य भी इस दिन चावल का सेवन न करें। इससे व्रती का उपवास पूर्ण नहीं माना जाता है। एकादशी का व्रत करने वालों को इस दिन संबंधित एकादशी की कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए जिससे व्रत का पूर्ण फल मिलने वाला रहता है। इस दिन श्रीहरि विष्णु के पूजा का बाद अपने सामथ्र्य अनुसार ब्राह्मण और जरुरतमंदों को दान दें।
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