महाशिवरात्रि पर करें चार प्रहर की पूजा || Vaibhav Vyas


 महाशिवरात्रि पर करें चार प्रहर की पूजा

महाशिवरात्रि का पर्व इस साल 18 फरवरी 2023 को है। ये त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के संगम का प्रतीक है। इसी दिन शिव जी ने वैराग्य जीवन छोड़कर दूल्हा बनकर देवी पार्वती से विवाह किया था। एक मान्यता ये भी है कि इस दिन विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे।

इन्हीं में से एक ही महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जहां महाशिवरात्रि पर 9 दिन तक उत्सव मनाया जाता है। हर दिन शिव जी के अलग-अलग रूप की पूजा होती है। बाबा महाकाल दूल्हा बनते हैं और रोजाना उनका विशेष श्रृंगार किया जाता है।

महाशिवरात्रि पर कर लें ये उपाय- महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा में अलग-अलग चीजों से अभिषेक करें। पहले प्रहर में दूध चढ़ाएं। मान्यता है इससे कर्ज  से छुटकारा मिलता है। दूसरे प्रहर में दही से अभिषेक करें, इससे संतान सुख और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। तीसरे प्रहर में  घी से अभिषेक करें, कहते इससे धन लक्ष्मी आकर्षित होती, व्यक्ति को नौकरी और कारोबार में तरक्की मिलती है। चौथे प्रहर में शहद की धारा बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं इससे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।

महाशिवरात्रि के नाम से ही स्पष्ट होता है इस दिन रात्रि में शिव की पूजा की जाती है। रात के चारों प्रहरों में जागकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। कहते हैं शिवरात्रि पर शिव जी और पार्वती जी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इस रात में जो लोग भक्ति करते हैं, उन्हें शिव-पार्वती की विशेष कृपा मिलती है। जीवन में सुख का आगमन होता है।

महाशिवरात्रि 2023 मुहूर्त- फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 02 पर शुरू हो रही है और अगले दिन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।

शिवमहापुराण के अनुसार महाशिवरात्रि की पूजा बेलपत्र का महत्व बताया गया है। कहते हैं शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने बिना-अन्न जल के सालों तक तपस्या की थी। वह सालों तक दिन-रात शिवलिंग पर एक लौटा जल और बेलपत्र से महादेव की उपासना करती थीं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक देवी पार्वती ने ही शिव को सबसे पहले बेलपत्र चढ़ाया था। मान्यता है कि अगर शिवजी की पूजा के लिए कई तरह की चीजें उपलब्ध न भी हो और सिर्फ एक बिल्वपत्र चढ़ा दिया जाए तो उससे पूजा का पूरा फल मिलता है। वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है, शिव के समान जीवनसाथी मिलता है।

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