शनि प्रदोष व्रत से मिलता संतान सुख || Vaibhav Vyas


 शनि प्रदोष व्रत से मिलता संतान सुख

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को इस बार शनि प्रदोष व्रत है। जब प्रदोष व्रत शनिवार के दिन होता है तो वह शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। शनि प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा करते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद पारणक करके व्रत को पूरा किया जाता है। शनि प्रदोष व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। इस व्रत को वे सभी दंपत्ति कर  सकते हैं, जिनको संतान सुख प्राप्त नहीं है। इस व्रत के प्रभाव और शिव कृपा से व्यक्ति को संतान सुख मिलता है।

पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 फरवरी दिन शुक्रवार को रात 11 बजकर 36 मिनट से प्रारंभ हो रही है, जबकि इस तिथि का समापन 18 फरवरी शनिवार को रात 08 बजकर 02 मिनट पर हो रहा है। उदया तिथि और प्रदोष पूजा मुहूर्त के आधार पर शनि प्रदोष व्रत 18 फरवरी को रखा जाएगा।

शनि प्रदोष व्रत 2023 पूजा मुहूर्त- 18 फरवरी को शनि प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 03 मिनट से रात 08 बजकर 02 मिनट तक है। प्रदोष काल के इस मुहूर्त में भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत में शाम की पूजा का महत्व होता है। हालांकि लोग दिन में भी व्रत की पूजा कर लेते हैं।

सर्वार्थ सिद्धि योग में शनि प्रदोष व्रत- इस साल का पहला शनि प्रदोष व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में है। 18 फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 05 बजकर 42 मिनट से अगले दिन 19 फरवरी को सुबह 06 बजकर 56 मिनट तक है। इस शुभ योग में आप जिस मनोकामना से व्रत रखकर शिव जी की पूजा करेंगे, वह पूर्ण होगा। यह योग कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला माना जाता है।

पूजा के समय जरूर सुनें शनि प्रदोष व्रत कथा-जब भी आप शनि प्रदोष व्रत की पूजा करें, उस समय शनि प्रदोष व्रत कथा को जरूर सुनें। व्रत कथा सुनने से व्रत का फल प्राप्त होता है और उसका महत्व पता चलता है। इसकी पौराणिक कथा में बताया गया है कि साधु की सलाह पर जब नि:संतान सेठ और सेठानी शनि प्रदोष व्रत विधिपूर्वक करते हैं तो उनको पुत्र की प्राप्ति होती है।

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