सर्वशक्तिमान सूर्य की उपासना के वो दिव्य मंत्र जो आपकी शिक्षा और कैरियर को एक नई उड़ान देंगे।
अगर सुबह अच्छी खबरें मिलें तो दिन भर मन खुश रहता है। दिन भर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और मन में ताजगी रहती है। रविवार यानी सूर्य की उपासना का दिन है। केवल सूर्य की उपासना करके इंसान अपने जीवन को सर्वोत्तम बना सकता है। विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान पाने के लिए सूर्य उपासना सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है इसलिए आज हम आपको बताएंगे सूर्य और शिक्षा का संबंध क्या है और रविवार को सूर्य के ध्यान से आपको कैसे मिलेगा ज्ञान।
सूर्य देव और शिक्षा का सम्बन्ध
- सूर्य शिक्षा और ज्ञान का स्वाभाविक स्वामी है।
- कुंडली में सूर्य शिक्षा की स्थिति को स्पष्ट करता है।
- सूर्य ये भी बताता है कि आप शिक्षा के प्रति कितने गंभीर हैं।
- सूर्य व्यक्ति को शिक्षा ग्रहण करने योग्य भी बनाता है।
- सूर्य के कमजोर होने से शिक्षा प्राप्त करने में समस्याएं आती हैं।
- शिक्षा के लिए सूर्य देव की उपासना सर्वोत्तम मानी गई है।
सूर्य कैसे देंगे शिक्षा का वरदान-
- सुबह जल्दी उठने पर
साफ़-सुथरे तरीके से रहने पर
सूर्य की रोशनी का लाभ उठाने पर
पिता और गुरुजनों का सम्मान करने पर
खान-पान शुद्ध रखने पर
जानकारों की मानें तो इंसान की शिक्षा कैसी होगी, ये कुंडली में सूर्य की स्थिति से साफ पता चलता है लेकिन कुछ आदतें भी हैं जिनके कारण इंसान सूर्य कृपा से वंचित रह जाता है और उसकी शिक्षा बदतर हो जाती है।
कब आती है शिक्षा में बाधा-
- सूर्योदय के बाद देर तक सोने से
- अंधेरे घर में या कमरे में रहने पर
- अपने पिता का सम्मान ना करने पर
- लेटकर पढऩे-लिखने पर
- ज्यादा पेट भरकर खाने पर
उत्तम शिक्षा के लिए सूर्य की उपासना-
- रोजाना सूर्योदय से पहले ही शुद्ध होकर स्नान कर लेना चाहिए।
- नहाने के बाद सूर्यनारायण को तीन बार अघ्र्य देकर प्रणाम करें
- संध्या के समय फिर से सूर्य को अघ्र्य देकर प्रणाम करें।
- सूर्य के किसी भी मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करें
- आदित्य हृदय का नियमित पाठ करें।
- रविवार को तेल और नमक नहीं खाना चाहिए।
- इस दिन एक समय ही भोजन करना चाहिए।
सूर्य उपासना में आपकी शिक्षा और करियर से जुड़ी हर समस्या का समाधान छुपा है। इनमें से किसी भी मंत्र का जाप आपके जीवन को सूर्य के समान कांतिमान बना सकता है। मंत्रों का जाप-
ऊँ सूर्याय नम:। ऊँ भास्कराय नम:।
ऊँ रवये नम:। ऊँ मित्राय नम:।
ऊँ भानवे नम:। ऊँ खगय नम:।
ऊँ पुष्णे नम:। ऊ मारिचाये नम:।
ऊँ आदित्याय नम::। ऊँ सावित्रे नम:।
ऊँ आर्काय नम:। ऊँ हिरण्यगर्भाय नम:।
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