फाल्गुन मास में श्री कृष्ण की पूजा-उपासना विशेष फलदायी || Vaibhav Vyas


 फाल्गुन मास में श्री कृष्ण की पूजा-उपासना विशेष फलदायी

सनातन धर्म में फाल्गुन मास का विशेष महत्व बताया गया है। हर माह किसी न किसी देवता को समर्पित होता है, ऐसे में फाल्गुन मास में भगवान शिव और श्रीकृष्ण की खास पूजा का विधान है। फाल्गुन मास को आनंद और उल्लास का माह माना जाता है। मान्यता है कि इस माह में प्रेम संबंधों और रिश्तों में मिठास आती है।

नए माह के आगमन के साथ नए नियम कानून भी देखने को मिलते हैं। इस माह में विधि विधान से भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना के साथ साथ कुछ नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जैसे कि इस माह में शीतल और सामान्य पानी से स्नान करना चाहिए। इस माह में अन्न कम और फलाहार ज्यादा करना चाहिए। मान्यता है कि इस माह में रंगीन कपड़े और सुंदर कपड़े पहनने चाहिए। इस माह में नियमित रूप से श्री कृष्ण की उपासना करने से विशेष फल मिलता है। पूजा में फूलों का इस्तेमाल करें. वहीं इस माह में मांस-मदिरा और नशे आदि की चीजों से बहुत दूर रहना चाहिए।

फाल्गुन माह श्री कृष्ण की उपासना को समर्पित माना गया है। मान्यता है कि इस माह में की गई श्री कृष्ण की पूजा विशेष फलदायी होती है। फाल्गुन माह में श्रीकृष्ण के बाल, युवा और गुरु इन तीनों स्वरूपों की उपासना करना बहुत ही शुभ और कल्याणकारी माना गया है। वहीं, संतान प्रप्ति के लिए श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की उपासना बहुत ही फलदायी मानी गयी है। प्रेम और आनंद प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण के युवा स्वरूप और ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु कृष्ण की उपासना करनी चाहिए।

श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की नियमित पूजा-उपासना के साथ उन्हें प्रसाद के रूप में माखन-मिश्री का भोग लगाना चाहिए। किसी भी पूजा में भाव की भूमिका अहम होती है, ऐसे ही बाल स्वरूप श्री कृष्ण के लड्डू गोपाल की पूजा भक्ति-भाव से करने से श्रीकृष्ण की कृपा के साथ मनोवांछित फलों की प्राप्ति होने वाली रहती है।

इस महीने श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ रंगों और फूलों से भी भगवान को रिझाया जा सकता है, इसके लिए नित नए फूलों से श्री कृष्ण का शृंगार और फूलों को अर्पित करना चाहिए। साथ ही इस पूरे महीने में श्रीमद भागवत गीता का श्रवण-वाचन करने से मन की संतुष्टि के साथ-साथ श्रीकृष्ण की गुरु रूप में पूजा का फल भी मिलने वाला रहता है।

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