पापों से मुक्ति दिलाता माघ महीना || Vaibhav Vyas


 पापों से मुक्ति दिलाता माघ महीना

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ महीने को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक कथाओं में माघ के महीने को पापों से मुक्ति दिलाने वाला महीना कहा जाता है। कहते हैं आप अगर किसी परेशानी से जूझ रहे हैं या फिर पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो इस महीने में किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। आपको इस महीने में दान भी करना चाहिए। आप चाहे तो गरीब या फिर ब्राह्मणों को भोजन भी करा सकते हैं। साथ ही जरूरतमंदों को यथासंभव मदद करके भी भगवान की कृपा के पात्र बनने वाले रहते हैं।

इस महीने में भगवान श्री कृष्ण, भगवान सूर्य, श्री हरि एवं मां गंगा की उपासना का विधान है। मान्यता है कि इस पवित्र मास में पूजा-पाठ, स्नान-दान व व्रत करने से विशेष लाभ मिलता है और देवी देवताओं का आशीर्वाद सदा भक्तों पर बना रहता है।

शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि इस पवित्र मास में पवित्र नदी स्नान करने से पुण्य एवं शांति की प्राप्ति होती है। वहीं सूर्य देव की उपासना करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वैसे तो माघ मास 7 जनवरी से प्रारंभ हो गया था और इसका समापन 5 फरवरी को होगा। इस मास में महत्वपूर्ण पर्व एवं व्रत वाले दिनों में किसी भी नदी सरोवर में स्नान के पश्चात मां गंगा की पूजा और श्री हरि की पूजा-उपासना के साथ तीर्थ स्थान पर दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है साथ ही इनके करने से शुभता में कई गुना वृद्धि होने वाली रहती है। शास्त्रों में इस पवित्र मास के संदर्भ में कुछ नियम व उपाय भी बताए गए हैं। जिनका पालन करना व्यक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

शास्त्रों के अनुसार माघ महीने में पवित्र गंगा में स्नान करने से व गीता का पाठ करने से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मास में भगवान विष्णु को तिल निश्चित रूप से अर्पित करें। साथ ही नितदिन तुलसी के सामने दीपक जलाकर उनकी पूजा करें। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े दान करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

माघ महीने में जरूर करें इस मंत्र का जाप-

दु:खदारिद्रयनाशाय श्रीविष्णोस्तोषणाय: च।

प्रात:स्नानं करोम्यद्य माघे पापविनाशनम्।।

मकरस्थे रवौ माघे गोविन्दाच्युत माधव।

स्नानेनानेन मे देव यथोक्तपलदो भव।।

दिवाकर जगन्नाथ प्रभाकर नमोस्तु ते।

परिपूर्णं कुरुष्वेदं माघस्नानं महाव्रतम्।।

माघमासमिमं पुण्यं स्नानम्यहं देव माधव।

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