अमावस्या पर स्नान और दान का मिलता अक्षय फल || Vaibhav Vyas


 अमावस्या पर स्नान और दान का मिलता अक्षय फल

मौनी अमावस्या का शास्त्रों में विशेष महत्व है। हर साल माह माह के कृष्ण पक्ष में पडऩे वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। जो कि इस साल 21 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन मौन रहकर किसी पवित्र नदी या जलकुंड में स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है इस दिन स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही शास्त्रों में मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है।

दान- स्नान का शुभ मुहूर्त - पंचांग के मुताबिक 21 जनवरी को सुबह 8 बजकर 33 मिनट से 9 बजकर 52 मिनट के बीच दान-स्नान का शुभ मुहूर्त है। इस समय आप किसी जरूरतमंद को कंबल, तिल या गुड़ का दान कर सकते हैं। पवित्र नदी में स्नान करते वक्त मन में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। साथ ही मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस दिन मौन रहकर स्नान और दान किया जाता है।

मौनी अमावस्या महत्व- अमावस्या तिथि पितरों के लिए समर्पित होती है। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, वो लोग इस दिन श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं। साथ ही शास्त्रों में कहा गया है कि माघ महीने में देवता प्रयागराज आकर अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं। इसलिए प्रयागराज में इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। मान्यता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत के समान होता है। इस दिन संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।

जीव को दें आहार- किसी भी जीव या जंतु को मौनी अमावस्या के दिन आहार जरूर दें। यानी कि कुछ खिलाएं अवश्य। इससे पुण्य की प्राप्ति होगी और अटका धन लौट आएगा।

शिव मंत्र का करें जाप- मौनी अमावस्या के दिन शिव मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। ऐसे में भगवान शिव के मृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करें। इससे संकटों का नाश होगा। 

केसर का दूध चढ़ाएं- मौनी अमावस्या के दिन भगवान शिव को केसर का दूध चढ़ाने से न सिर्फ सेहत में सुधार होगा बल्कि अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होगी।

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